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अंतर्राष्ट्रीय बाजार और भारत में सिल्वर का कारोबारसाल भर में सिल्वर जा सकता है 1 लाख के आसपास

  • Aabhushan Times
  • Jan 19, 2024
  • 6 min read

जेम एंड ज्वेवलरी निर्यात का भारत के सकल निर्यात में योगदान लगभग 6.75त्न है। यूएई, ऑस्ट्रेलिया और कई अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों से भारतीय ज्वेलरी प्रोडक्ट्स का निर्यात बढ़ेगा, तो सामान्य ज्वेलर को भी कमाई का लाभ में मदद मिलेगी। हालाँकि, सिल्वर की कीमतों में उतार-चढ़ाव पर भारत सरकार की नीतियों का भी असर रहता है। फिर भी उम्मीद है कि बाजार तो बढऩे की तरफ ही रहेगा।


सिल्वर को हमने शुरू से ही देखा है कि यह मेटल भी भारत सहित पूरी दुनिया में समान रूप से  गोल्ड की तरह ही एक बहुमूल्य धातु है जिसका समृद्ध इतिहास प्राचीन काल से है, तथा इसने मानव सभ्यता के विकास के साथ ही हर दौर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सिल्वर का उपयोग ज्वेलरी, मुद्रा और औद्योगिक प्रयोगों सहित विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया गया है। हमने देखा है कि हाल के वर्षों में, सिल्वर के अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है और यह गोल्ड, शेयर व बॉण्ड आदि के साथ साथ कई तरह के निवेश करनेवाले तेजी मंदी में कमाकर बाहर निकलनेवाले निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण निवेश का विकल्प बन गया है। इसी कारण ज्वेलरी इंडस्ट्री में तेजी मंदी आते रहने के बावजूद सिल्वर कमाई देने के मामले में गोल्ड की बराबरी का माना जाता है, जिसमें कम निवेश में भी अच्छी कमाई निकाली जा सकती है। वर्तमान में सिल्वर 74 हजार के आसपास ट्रेंड कर रहा है, जिसके आनेवाले वक्त में सीधे 1 लाख के आसपास पहुंचने के आसार बताए जा रहे हैं। यह आनेवाला वक्त कब आएगा, इस बारे में जानकार कहते हैं कि यह छह महीने से डेढ़ साल के बीच का वक्त है, जिसमें सिल्वर सबसे टॉप पर होगा। मतलब एक लाख के पार भी जा सकता है, क्योंकि भारत में ही नहीं, दुनिया के विभिन्न उत्पादों में सिल्वर का उपयोग काफी ज्यादा बढऩे लगा है। 


सिल्वर के इतिहास में हम देखें, तो भारत, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और हीरे, मोती, जवाहरात, गोल्ड व सिल्वर जैसी कीमती धातुओं के प्रति आकर्षण के लिए जाना जाता है। हालांकि चांदी व्यवसायिक ज्वेलरी क्षेत्र के साथ साथ सजावटी सामान, घरेलू उत्पाद, बर्तन, गिफ्ट आइटमों के इलावा इंडस्ट्रीयल जरूरतों में भी बहुत ज्यादा काम आता है। इसी वजह से इसकी खपत भी काफी है। भारत में सिल्वर के कारोबार के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में सिल्वर मार्केट की गतिशीलता को भी समझा जाना बेहद जरूरी है। गोल्ड की तरह ही सिल्वर के रेट्स भी लगातार घटते बढ़ते रहते हैं। सिल्वर के रेट्स बाजार की आपूर्ति और डिमांड में कमी पेशी, दुनिया के विभिन्न देशों की राजनीतिक घटनाओं, वैश्विक आर्थिक स्थितियों और समृद्ध देशों की निवेश क्षमता सहित ओद्योगिक विकास की विभिन्न जरूरतों से प्रभावित होता है। सिल्वर का खनन मुख्य रूप से अन्य बेस मेटल्स, जैसे तांबा, सीसा और जस्ता के उपोत्पाद के रूप में किया जाता है। इसका मतलब यह है कि सिल्वर का उत्पादन इन बेस मेटल्स के खनन पर निर्भर है। परिणामस्वरूप, बेस मेटल्स की डिमांड में उतार-चढ़ाव सिल्वर की आपूर्ति को प्रभावित कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप इंटरनेशनल मारेक्ट में इसकी कीमतें प्रभावित होती रहती है।


आनेवाले वक्त में सिल्वर की रिकॉर्ड-उच्च डिमांड दिखने की उम्मीद है, और भारत सहित दुनिया भर में, कई ज्वेलरी ब्रांड्स अब सिल्वर को नई आशा के साथ देख रहे हैं। इसीलिए माना जा रहा है कि इसके रेट्स में बढ़ोतरी तेजी के साथ रहेगी और सिल्वर 1 लाख पर पहुंच सकता है। सिक्कों से लेकर कटलरी तक, इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर ऊर्जा तक, सिल्वर ने हमेशा प्रचलन में रहने के नए तरीके खोजे हैं। हालाँकि, जब ज्वेलरी की बात आती है, तो गोल्ड को एसेट माना जाता है जबकि सिल्वर को गरीब के गोल्ड के रूप में माना जाता है। लेकिन वह सब अब बदल रहा है। बाजार के जानकारों के अनुसार, भारत में सिल्वर की ज्वेलरी की मांग 2021 में 600 मीट्रिक टन को पार कर गई थी। त्यौहारी सीजऩ के दौरान तीज, ओणम, करवा चौथ, ईद, दिवाली आदि अवसरों पर बड़ा दबाव होता है। वैश्विक चांदी की मांग 1.112 बिलियन औंस के रिकॉर्ड उच्च स्तर तक बढऩे के अनुमान के साथ कीमती धातु गोल्ड की चमक भी कम कर रही है।


सिल्वर की मांग ज्वेलरी में तो फिर भी कम होती है, लेकिन, इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलार पैनल, फोटोग्राफी और निवेश सहित विभिन्न क्षेत्रों से ज्यादा डिमांड हमेशा आती रही है। हालांकि, ज्वेलरी उद्योग सिल्वर की मांग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हमारी भारतीय संस्कृति में सिल्वर की ज्वेलरी को एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक प्रतीक और मूल्य का भंडार माना जाता हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में भी बड़ी मात्रा में सिल्वर की खपत होती है, क्योंकि इसकी उच्च तापीय और विद्युत चालकता के कारण इसका उपयोग विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक सामानों में किया जाता है। सिल्वर का उपयोग सौर पैनलों के उत्पादन में भी किया जाता है, क्योंकि यह बिजली का उत्कृष्ट संवाहक है और इसमें उच्च परावर्तन क्षमता होती है, जो इसे सौर ऊर्जा के दोहन के लिए आदर्श बनाती है।


लेकिन अब ज्वेलरी में सिल्वर के दिन फिर रहे हैं। कई प्रमुख ज्वेलरी ब्रांड इसमें उतर रहे हैं, जो गोल्ड ज्वेलरी के कारोबार में है, लेकिन बदलते वक्त के साथ सिल्वर ने ग्राहकों का ध्यान खींचना शुरू कर दिया है। कई ज्वेलर्स का कहना है कि गोल्ड की लगातार बढ़ती कीमतों और उपभोक्ताओं की खरीदी क्षमता के दायरे से बाहर जाने के कारण सिल्वर की मनभावन क्षमता को ध्यान में रखते हुए, सिल्वर बुलियन और उसके उत्पादों की मांग में आने वाले समय में वृद्धि होगी, तथा इसके रेट्स भी जरूर बढ़ेगे। ये बाजार के सूत्र कहते हैं कि आनावेले साल भर में सिल्वर 1 लाख का आंकड़ा भी छू, ले ते कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि इस बदलाव का एक कारण गोल्ड की कीमतों में उछाल भी हो सकता है। दूसरी ओर, सिल्वर की कीमतों में लगातार स्थिरता रहने के बावजूद धीमी तेजी रही है, जिसे कमाई देने वाला माना जाता है। निवेशक इसी अवसर का लाभ उठाने और सिल्वर ज्वेलरी, सिल्वर कॉइन और सिल्वर बार सहित विभिन्न रूपों में यह मेटल खरीदने के लिए अक्सर बाजार की राह ताकते हैं। इन कुछ खास कारणों से हाल के वर्षों में बाजार में सिल्वर की निवेश मांग बढ़ रही है, कई निवेशक इसे मुद्रास्फीति, मुद्रा अवमूल्यन और आर्थिक अनिश्चितता के खिलाफ बचाव के रूप में मान रहे हैं। वैसे सिल्वर को, अक्सर गरीब का गोल्ड कहा जाता है, तथा गोल्ड की तुलना में अधिक सस्ता माना जाता है, जिससे यह निवेशकों की एक लंबी रैंज के लिए सुलभ हो जाती है। निवेश विकल्प के रूप में सिल्वर में बढ़ती रुचि ने विभिन्न निवेश उत्पादों, जैसे सिल्वर रॉड्स, कॉइंन और ज्वेलरी के विकास को जन्म दिया है, जो सिल्वर बाजार को जबरदस्त समर्थन प्रदान कर रहा हैं।  वित्त वर्ष 2022-23 के लिए देश का सिल्वर ज्वेलरी का निर्यात साल-दर-साल 8 प्रतिशत बढक़र 2.93 बिलियन डॉलर हो गया। हमने निर्यात में उछाल के कारणों का पता लगाने के लिए प्रमुख सिल्वर ज्वेलरी निर्यातकों से बात की और यह जानने की कोशिश की कि भारतीय सिल्वर ज्वेलरी निर्माता इस गति को बनाए रखने के लिए अन्य बाजारों को कैसे एक्सप्लोर करते हैं, तो पता चला कि भारत सिल्वर ज्वेलरी और सिल्वर के बर्तनों का सबसे बड़ा बाजार है और पिछले कुछ वर्षों से यह तेजी से बढ़ रहा है। 


हम देखते है कि भारतीय परंपरा और संस्कृति में सिल्वर का गहरा महत्व है। यह विभिन्न महत्वपूर्ण घटनाओं और अनुष्ठानों का एक अभिन्न अंग है। शादियों से लेकर धार्मिक समारोहों तक, सिल्वर की वस्तुओं का आदान-प्रदान और उपहार देना आशीर्वाद, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है। इसके सांस्कृतिक महत्व के बावजूद, सिल्वर की कीमतों की अस्थिरता उपभोक्ता व्यवहार को प्रभावित कर सकती है। मूल्य अनिश्चितता की अवधि के दौरान, व्यक्ति अपने फैसले लेने से पहले अधिक अनुकूल बाजार स्थितियों की उम्मीद करते हुए, अपनी सिल्वर से संबंधित खरीदारी में देरी करना चुन सकते हैं। सिल्वर निर्यातकों के अनुसार, भारत में निर्यात के लिए सिल्वर की मांग में हालिया वृद्धि में योगदान देने वाले कुछ विश्ष कारण रहे हैं।


अमेरिका, भारतीय सिल्वर ज्वेलरी के लिए एक प्रमुख बाजार है। वैश्विक स्तर पर विभिन् देशों के बीच के राजनैतिक संबंध तथा उससे संबंधित घटनाएं और वैश्विक आर्थिक स्थितियां भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सिल्वर मार्केट को आगे बढ़ाने तथा कभी कभी कमजोर कर देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सरकारी नीतियों में बदलाव और वैश्विक आर्थिक विकास जैसे कारण भी सिल्वर की मांग और इसकी कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, आर्थिक अनिश्चितता या राजनीतिक उथल-पुथल की अवधि के दौरान, निवेशक सुरक्षित संपत्ति के रूप में गोल्ड के साथ साथ सिल्वर जैसी कीमती धातु में निवेश कर सकते हैं, जिससे उसकी मांग में वृद्धि होगी और कीमतें ऊंची होंगी। माना जा रहा है कि आने वाले वक्त में सिल्वर 1 लाख के आसपास पहुंच कर कुछ वक्त के लिए स्थिर रह सकती है।


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