गोल्ड ज्वेलरी की चमक अगले कई सालों तक मजबूत रहेगा ज्वेलरी बिजनेस
भारतीय ज्वेलर्स को किसी भी हालात में अपने व्यापार को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। उनका भविष्य उज्जवल है तथा वे बुलियन, ज्वेलरी, बॉण्ड या किसी भी स्वरूप में गोल्ड से जुडे रहेंगे, तो निश्चित रूप से लाभ ही होगा, घाटा हो ही नहीं सकता। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल ने भारतीय गोल्ड मार्केट पर जो एक गहन विश्लेषण रिपोर्ट पेश की है, उसमें ये तथ्य सामने आए है। इस रिपोर्ट के कुछ मुद्दों का विश्लेषण करने वालों ने जो तथ्य सामने रखे हैं, उनके मुताबिक भी दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले भारत में गोल्ड ज्वेलरी का भविष्य सबसे अधिक उज्जवल है तथा आनेवाले अनेक वर्षों तक देश में गोल्ड की डिमांड किसी भी हाल में कम नहीं होगी।
इसका कारण यह है कि भारतीय समाज में गोल्ड के प्रति जो आकर्षण है, तथा भारत की जो परंपराएं हैं, साथ ही भारतीय समाज के एक बहुत बड़े तबके की जो आर्थिक हालत है, उसमें केवल गोल्ड ही सबसे अधिक उपयुक्त देखा जा रहा है। भले ही इसके रेट्स में साल दो साल के लिए 10 फीसदी तक कमी या थोड़े वक्त के लिए 20 फीसदी भी कमी आ सकती है, लेकिन अंतत: गोल्ड जिस रेट में खरीदा गया है, कम से सम दो साल तक पास रखने के बाद वह फिर से तेजी पकडक़र कमाई देता ही है, तथा वह कमाई ब्याज के मुकाबले तो ज्यादा ही होती है। अत: आने वाले अनेक वर्षों तक गोल्ड भारत की अहम वस्तु के रूप में बना रहेगा। इसके साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़ा होने के कारण सबसे महंगी धातु के रूप में भी इसका महत्व मजबूत होता रहेगा। हालांकि, मार्च - अप्रेल 2023 में गोल्ड के रेट 62 हजार 300 सबसे उपर पहुंचने के बाद अब जून के अंतिम सप्ताह में नीचे गिरकर 60 हजार के भीतर उतर गए हैं, अत: कुछ लोगों को इस रिपोर्ट पर भरोसा कम भी हो सकता है। लेकिन उनका भरोसा फिर से मजबूत होना तय है क्योंकि वल्र्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि बीच - बीच में रेट्स के मामले में गोल्ड 10 से 15 फीसदी तक नीचे उतरकर फिर से ऊपर ही आना तय है। इसी कारण गोल्ड मार्केट के जानकारों द्वारा ज्वेलर्स को आश्वस्त किया जा रहा है कि वे भरोसा रखे, उपभोक्ता को गोल्ड कभी भी नुकसान नहीं देता है, जो बेचने वाले को तो नुकसान दे ही नहीं सकता। इसीलिए माना जा रहा है कि भारतीय ज्वेलर्स के लिए गोल्ड सबसे जीवंत व्यापार बना रहेगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था, भारतीय समाज, भारतीय ज्वेलरी मार्केट पर वल्र्ड गोल्ड काउंसिल की यह विश्लेषणात्मक रिपोर्ट कहती है कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय ज्वेलरी उपभोक्ता की पसंद में बदलाव के बावजूद भारत में गोल्ड ज्वेलरी की मांग और महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। भारत में ज्वेलरीकी जरूरतों तथा महत्व के बारे में प्रकाश डालते हुए इस रिपोर्ट मेंगोल्ड ज्वेलरी की सामाजिक वर्गानुसार आय और पब्लिक डिमांड का भी विश्लेषण करता है। जिसका सबसे मजबूत तथ्य यह है कि भारत दुनिया केदूसरे सबसे बड़े गोल्ड इंपोर्टर के रूप में दुनिया में अपनी धाक जमा चुका है, तथा गोल्ड व डायमंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट के मामले में भी एक ठोस दृष्टिकोण केसाथ आगे बढ़ रहा है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का विश्लेषण करने वाले जानकार मानते हैं कि ज्वेलरी के मामले में बारत नंबर वन बना रहेगा क्योंकि यहां पर इसकी खपत और निर्माण का बाजार भी सबसे बड़ा है। दुनिया के धनी देशों के भारत में जनसंख्या बहुत अधिक होने के कारण हमारा देश ज्वेलरी के मामले में, विशेषकर गोल्ड ज्वेलरी को लेकर सबसे आगे ही रहेगा। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सही मायने में दुनिया में गोल्ड तथा गोल्ड ज्वेलरी का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। हमारी तेजी से बदलती जनसंख्या के कारण गोल्ड के मामले में सरकार ने भी पिछले कुछ वर्षों में तेजी से नए बदलावों का अनुभव किया है। इन अनुभवों में सरकार के लिए वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक जो सबसे संतोषजनक तथ्य है, वह टैक्स का है, जो उसे लगातार मिलता जा रहा है। जीएसटी की व्यवस्था लागू होने के बाद गोल्ड ज्वेलरी का कारोबार करने वाले ज्वेलर्स में कैश के मुकाबले बैंक ट्रांजेक्शन का ट्रैंड तेज हो रहा है, जो कि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा माना जाता है।
भारत में हम देखते हैं कि सामाजिक परंपरा के मुताबिक विवाह, उत्सव और त्यौहार गोल्ड तथा गोल्ड ज्वेलरी की डिमांड के सबसे महत्वपूर्ण अवसर बने हुए हैं। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल का विश्लेषण करने वाले कहते हैं कि उपभोक्त के रूप में भारत मेंकेवल दुल्हन से जुड़ी ज्वेलरी के कारोबार की बाजार में लगभग 50 फीसदी से भी ज्यादा हिस्सेदारी है। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट बताती है कि विवाह के अवसर पर गोल्ड ज्वेलरी की बिक्री में अचानक तेज इजाफा होने के कारण भी यही है।
भारतीय ज्वेलरी मार्केट में दुल्हन की ज्वेलरी के दबदबे पर प्रकाश डालते हुए वल्र्ड गोल्ड काउंसिल की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय गोल्ड मार्केट में ज्वेलरी सेक्टर को देखा जाए, तो दुल्हन से जुड़ी ज्वेलरी की मार्केट हिस्सेदारी 50 से 55 प्रतिशत है। हालांकि इसका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है, फिर भी माना जाता है किदेश में हर साल लगभग एक करोड़ से लेकर 1 करोड़ 30 लाख विवाह होते हैं। इस कारण भारतीय समाज में दुल्हन की ज्वेलरी की डिमांड लंबे समय तक मजबूत बनी रहेगी। भारतीय परंपरा के मुताबिक विवाह में ज्वेलरी का महत्व काफी हद तक विवाह करने वाली महिला की वित्तीय तथा सामाजिक सुरक्षा से भी जुड़ा होने के कारण गोल्ड ज्वेलरी एक महत्वपूर्ण कारोबार के रूप में अपना दबदबा बनाए रहेगा।
संयम मेहरा - युनिक चेन्स
भारत का गोल्ड ज्वेलरी निर्यात पिछले कुछ वर्षों में बहुत तोजी से बढ़ा है, माना जा रहा है कि भारतीय गोल्ड ज्वेलरी एक्सपोर्टर्स को आने वाले कुछ सालों में वैश्विक स्तर पर नए मार्केट विकसित करने होंगे, ताकि एक्सपोर्ट बढ़ेगा, तो बाजार मजबूत रहेगा।
अनिश बिरावत - चेन एन चेन्स
भारतीय समाज में गोल्ड ज्वेलरी तथा गोल्ड दोनों को जमा करने की आदत हैं, तथा यह हमारी समृद्धि का प्रतीक भी है। भारत का ब्राइडल ज्वेलरी सेगमेंट मार्केट में लगभग आधी से भी ज्यादा हिस्सेदारी रखता है तो फिर ज्वेलरी के कारोबार को तो लगातार बढ़ते ही रहना है।
विवेक सुराणा - श्री सुस्वाणी ज्वेलर्स
ग्रामीण भारत गोल्ड ज्वेलरी के वजनदार सेगमेंट का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, तो शहरी इलाकों में लाइट वेट ज्वेलरी का बिक्री लगातार बढ़ रही है। भारतीय ज्वेलर्स दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उपभोक्ता के रूप में एक मजबूत स्तंभ है, क्योंकि यहीं पर इसकी सबसे अधिक सेल भी है।
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