top of page

गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी जस की तससरकार ने नहीं मानी आयात शुल्क कम करने की मांग

Aabhushan Times

गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी को लेकर हंगामा मचा हुआ है, क्योंकि ज्यादा इंपोर्ट ड्यूटी के कारण गोल्ड की बिक्री पर असर हो रहा है, तो गोल्ड का इंपोर्ट भी घट रहा है। लेकिन इंपोर्ट ड्यूटी घटाने से डॉलर के मुकाबले रुपए के गिरते भाव को सपोर्ट देने में दिक्कत आएगी। इसीलिए, इस बार के बजट में सरकार ने गोल्ड की इंपोर्ट ड्यूटी के मामले में बहुत सधे हुए कदमों से अपनी चाल चली है। एक तरफ बजट 2023 में गोल्ड, सिल्वर और प्लेटिनम से बनी इंपोर्टेड ज्वेलरी के महंगा होने का ऐलान किया गया, तो इंपोर्ट ड्यूटी को घटाने के मामले में सरकार ने चूं तक नहीं की हैं। भारतीय गोल्ड ज्वेलरी उद्योग को उम्मीद थी कि सरकार 1 फरवरी, 2023 को अपने बजट प्रावधानों में गोल्ड पर वर्तमान इंपोर्ट ड्यूटी में कमी की घोषणा करेगी। लेकिन ज्वेलरी मार्केट की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए सरकार ने बजट में कोई राहत नहीं दी। इस कारण गोल्ड फिलहाल सस्ता होने की उम्मीद नहीं है।


सरकार अगर गोल्ड पर से 5 प्रतिशत भी इंपोर्ट ड्य़ूटी घटाती, तो गोल्ड खरीदनेवालों को 5 प्रतिशत का लाभ होता, लेकिन हाय री किस्मत... सरकार है कि गोल्ड ज्वेलर्स की सुनती ही नहीं। इस बार के बजट की एक खास बात यह भी है कि सरकार ने गोल्ड मार्केट के मामले मं भंदभाव वाला रवैया अपनाया है, एक तरफ महंगाई बढ़ रही है, तो गोल्ड के भाव भी आसमान छूते जा रहे हैं। ऐसे में हम देख रहे हैं कि हमारे देश में गोल्ड का भाव 60 हजार का आंकड़ा छू रहा है। फिर जब, 20000 से ऊपर नगद भुगतान संभव नहीं है, तो सरकार को नगद भुगतान की छूट की सीमा भी बढ़ानी चाहिए थी, ज्यादातर ज्वेलर्स को यही उम्मीद थी कि इस बजट में नगद भुगतान की छूट की सीमा बढ़ाई जाएगी लेकिन वह भी जस की तस रखी गई। इस तरह से देखा जाए, तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने इस बार के बजट में ज्वेलर्स को कोई राहत नहीं दी है।


ज्वेलरी सेक्टर को उम्मीद थी कि केंद्र सरकार अपने बजट में गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी को घटाएगी। इस मांग को लेकर कई प्रतिनिधि मंडल केंद्र के कई नेताओं से भी मिले तथा विभिन्न संगठनों ने भी सरकार से मांग की। पिछले दो सालों में इस तरह से लगभग 50 से ज्यादा प्रतिनिधि मंडल अलग अलग अवसरों पर सरकार से मांग कर चुके हैं। पहले गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी 10.75 प्रतिशत ही थी, लेकिन गोल्ड का इंपोर्ट कम करने के लिए केंद्र सरकार ने 10.75 से सीधे 5 प्रतिशत बढ़ाकर 15.75 प्रतिशत कर दी। यह बढ़ोतरी 1 जुलाई 2022 से लागू की गई थी।


देखा जाए, तो गोल्ड पर तीन तरह की ड्यूटी लगती है। पहली बेसिक ड्यूटी 12.5 प्रतिशत, दूसरा एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर सेस 2.5 प्रतिशत व तीसरा सोशल वेलफेयर सेस 0.75 प्रतिशत लगता है। इस प्रकार गोल्ड इंपोर्ट पर 15.75 प्रतिशत ड्यूटी के बाद 3 प्रतिशत जीएसटी समेत कुल 18.75 प्रतिशत टैक्स चुकाना पड़ रहा है। मतलब साफ है कि अगर हम खरीददार लाख का गोल्ड खरीदे, तो इस एक लाख में लगभग 18 हजार 750 रुपए तो उसे टैक्स के रूप में ही चुकाना है, जिसकी कोई रिटर्न वैल्यू नहीं है। इस कारण ज्यादातर लोग कैश में गोल्ड खरीदते हैं, ताकि 3 प्रतिशत जीएसटी तो न चुकानी पड़े।


देश भर के ज्वेलरी व गोल्ड व्यापारियों की राय में इतने ज्यादा टैक्स का कारण सामान्य लोगों को गोल्ड बहुत खरीदना भारी पड़ रहा है, इसके लिए केंद्र सरकार को गोल्ड़ पर लगी इंपोर्ट ड्यूटी को कम करना ही चाहिए था। क्योंकि गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती से ज्वेलरी सेक्टर को व्यापक लाभ हो सकता था तथा बाजार में विकास के नए अवसर भी खुलते। व्य़ापारिक विकास की धारणा के कारण ही ज्वेलरी स्केटर इस बात को लेकर भी आशांवित था कि सरकार जरूर कुछ राहत देगी, लेकिन संसद में बजट पेश करते वक्त वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण साफ तौर पर इस विषय से ही कन्नी काट गई। मौजूदा समय में गोल्ड के इंपोर्ट पर लगाम कसने के तौर पर बढ़ते करेंट अकाउंट डेफीसिएट (सीएडी) को कम करने के लिए सरकार ने 1 जुलाई 2022 को गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी थी। केंद्र सरकार के इस फैसले से भारत द्वारा गोल्ड के आयात में ज्यादा कस्टम ड्यूटी के चलते 2021 में जहां 1068 टन सोने का इंपोर्ट हुआ था वो 2022 में घटकर 706 टन पर आ गया। लेकिन इसका विपरीत असर यह हुआ कि कस्टम ड्यूटी बढ़ाने से गोल्ड की स्मगलिंग काफी बढ़ी है। भारत में स्मगलिंग करके लाए गए गोल्ड का वजन 200 टन पर जा पहुंचा है।


हालांकि, गोल्ड की स्मगलिंग तो पहले भी होती रही है, लेकिन बढ़ी हुई इंपोर्ट ड्यूटी के कारण गोल्ड की तस्करी में तेजी आई और इस प्रकार की आपराधिक घटनाओं को और भी नई ऊंचाइयों पर पहुँचाया। लोग जूतों के तलवों में, तो कोई बालों में छुपाकर, कोई शरीर में निगलकर तो कोई इधर उधर छुपाकर गोल्ड भारत में ला रहा है। गोल्ड स्मगलिंग के कुछ मामलों में तो महिलाएं भी काफी आगे दखी गई हैं। सन 2021 में 2383 किलो और 2020 में 2154 किलो तस्करी से लाया हुआ गोल्ड देश भर में जब्त किया गया। वहीं, साल 2019 में 3,673 किलोग्राम सोना जब्त किया गया था। 2022 में 3,500 किलो के लगभग गोल्ड जब्त किया गया। कोई शरीर के किसी अंग में गोल्ड छुपाकार ला रहा हैं, तो कोई सूटकेस की परत में छुपाकर।


भारतीय गोल्ड ज्वेलरी उद्योग का कहना है कि इंपोर्ट ड्यूटी को घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया जाता, जैसी की मांग की जा रही थी, तो उससे न केवल एक्सपोर्टरों की वर्किंग कैपिटल की रुकावट को कम करने में मदद मिलती, बल्कि भारतीय गोल्ड ज्वेलरी उद्योग को एक स्वस्थ और पारदर्शी उद्योग बनाने में भी योगदान मिलता। अब, जब ऐसा नहीं हुआ है, तो गोल्ड पर उच्च इंपोर्ट ड्यूटी के कारण एक्सपोर्टरों की पूंजी की निकासी हो रही है, साथ ही देश में आर्थिक अपराधों का भी एक प्रमुख कारण बन गया है। भारतीय गोल्ड ज्वेलरी उद्योग की प्रतिनिधि संस्था जेम एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ने वित्त मंत्रालय से अपने अनुरोध में गोल्ड, सिल्वर और प्लेटिनम पर इंपोर्ट ड्यूटी के मौजूदा स्तर 15.75 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत करने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने ताजा पेश बजट में इंपोर्ट ड्यूटी को कम करने के मामले को ही दरकिनार कर दिया।


इंपोर्ट ड्यूटी लगे रहने के कारण गोल्ड की कीमतें बढऩे का असर गोल्ड के इंपोर्ट पर भी पर साफ तौर देखा जा रहा है। सन 2022 के दिसंबर महीने में गोल्ड के इंपोर्ट में 79 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई थी। यह दो दशक का सबसे निचला लेवल था और आज देखा जाए, तो घरेलू बाजार में गोल्ड इस समय कोविड के अपने 56191 के ऑल टाइम हाई से भी दो हजार रुपए आगे निकल चुका है। चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़े गोल्ड कंज्यूमर है, जहां उंचे भाव पर भी खरीदी को लगातार जारी रखते हुए ग्राहकों ने गोल्ड की कीमतों पर जोरदार ढंग से रिएक्ट किया है। इसका असर इंटरनेशनल मार्केट की कीमत पर भी दिखाई देगा, तथा इंटरनेशनल मार्केट में गोल्ड पहले ही अपने उच्चतम स्तर पर है। अगस्त 2020 में गोल्ड का उच्चतम भाव 56191 रुपए प्रति दस ग्राम था जो अभी तक का रिकॉर्ड था, लेकिन जनवरी 2023 में वह रिकॉर्ड भी तोड़ कर गोल्ड आगे बढ़ गया है। माना जा रहा है कि जल्दी ही आनेवाले वक्त में गोल्ड 65 हजार तक भी चला जाए, तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा। इसीलिए सरकार से मांग की जा रही थी कि गोल्ड पर 15.75 प्रतिशत इंपोर्ट ड्यूटी को घटाकर 4 प्रतिशत किया जाए, ताकि ब्किरी भी बढ़े और अपराध भी रुके, लेकिन सरकार ने ज्वेलर्स की एक नहीं सुनी।



केंद्र सरकार ने गोल्ड पर 1 जुलाई 2022 को इंपोर्ट ड्यूटी 5 फीसदी बढ़ाई थी, तो घरेलू बाजार

में गोल्ड की कीमतों तेजी देखने को मिली थी। अब मांग की जा रही थी कि इंपोर्ट ड्यूटी कम की

जाए, ताकि बाजार में गोल्ड थोड़ा तो सस्ता हो, लेकिन सरकार ने तो ध्यान भी नहीं दिया।


मनीष जैन - रॉयल चेन्स प्रा. लि.





अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सरकार का गोल्ड पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाने के फैसले से इंपोर्ट कम

होता है, तो सरकार को घाटा कम हो रहा है। हालांकि, सरकार यह भी नहीं चाहती कि व्यापारियों

का नुकसान हो, क्योंकि व्यापारी कमाएगा, तो ही सरकार को भी टैक्स का लाभ होगा।


अश्विन शाह - अंसा ज्वेलर्स प्रा. लि.





व्यापारिक क्षेत्रों के जानकारों की राय में डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी को रोकने में गोल्ड पर

इम्पोर्ट ड्यूटी कुछ हद तक कारगर साबित होती है, जो कि हुई भी। लेकिन अब स्मगलिंग बढ़ रही है

तथा सरकार को घाटा हो रहा है, तो इंपोर्ट ड्यूटी को कम करनी चाहिए था।


किरण खांटेड़ - राज ज्वेलर्स





डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट को रोकने की कोशिश में केंद्र सरकार ने गोल्ड पर इम्पोर्ट ड्यूटी

बढ़ाने का फैसला किया था। लेकिन इसका गोल्ड पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का असर घरेलू बाजार में

विपरीत असर देखने को मिला, साल भर तक लोगों ने गोल्ड की खरीदी ही कम की।


गौरव सिंघल - स्वर्ण गंगा ज्वेलर्स - ब्यावर







For more Updates Do follow us on Social Media



Comments


Top Stories

Bring Jewellery news straight to your inbox. Sign up for our daily Updates.

Thanks for subscribing!

  • Instagram
  • Facebook

© 2035 by Aabhushan Times. Powered and secured by Mayra Enterprise

bottom of page