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गोल्ड व सिल्वर की रफ्तार का ज्वेलरी बाजार पर असर!

Aabhushan Times








भारत में गोल्ड और सिल्वर की तेज रफ्तार हर किसी निवेशक को लुभा रही है, लेकिन यही रफ्तार ज्वेलर्स व ज्वेलरी कारीगरों के लिए परेशानी का सबब बन रही है। आभूषण टाइम्स सदा से ही आपको बाजार की हर नब्ज से अवगत कराता रहा है साथ ही प्रत्येक गतिविधि का साक्षी भी बनाता रहा है। ऐसे में गोल्ड व सिल्वर के बढ़ते रेट्स और लैब ग्रेन डायमंड के बढ़ते बाजार के बीच ग्राहकी न होने के कारण व्यापारिक तौर पर ज्वेलर्स के शोरूम्स में ग्राहकी न होने के कारण उनके खर्चे बढ़ते जा रहे हैं। इसके साथ ही ज्वेलरी बनाने वाले कारीगरों को भी कमाई कम हो रही है, तो निश्चित तौर पर उनके हालात भी बद से बदतर हो रहे हैं। हालांकि, ज्वेलर्स के पास तो गोल्ड व सिल्वर के स्टॉक के रेट्स बढ़ रहे हैं, त मानसिक चिंता कम है, मगर ग्राहकी न होने के कारण ज्वेलरी ही नहीं बन रही है, तो मजदूरों का तो परेशान होना बहुत लाजिमी है।


तो, चलिए सबसे पहले बात करते हैं गोल्ड व सिल्वर की। जानकार बताते हैं कि गोल्ड और सिल्वर दोनों एक साल में 1 लाख रुपये के लेवल को पार कर सकते हैं, जिससे इसी में 33 से 40 प्रतिशत का मुनाफा हो सकता है। इस वर्ष जनवरी से मार्च तक पहली तिमाही की बात की जाए, तो भारत में गोल्ड की खरीद में भी वृद्धि हुई है, तो सिल्वर की सेल भी तेजी से बढ़ी है और उसके रेट्स भी तेजी से चढ़े हैं। गोल्ड अगर 76 हजार का आंकड़ा छूकर थोड़ा सा नीचे उतरने के बाद उसी के आस पास मंडरा रहा है, तो सिल्वर के रेट्स भी 85 हजार प्रति किलो से ज्यादा थे । अप्रैल महीने में गोल्ड के दाम में 6 हजार रुपये से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई थी वहीं सिल्वर करीब 9 हजार की बढ़ोतरी देखने को मिली।


गोल्ड की बात की जाए, तो इस तीन महीने की अवधि के दौरान, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा गोल्ड की खरीद से मांग में 20 प्रतिशत वृद्धि दर्ज हुई है। गोल्ड के रेट्स अप्रैल में 76 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के आस पास पहुंच गया था, हालांकि अप्रैल के अंत तक कुछ नीचे भी उतर गए, फिर भी गोल्ड में दिख रही तेजी के हालात और दुनिया भर के देशों की अर्थव्यवस्था की स्थिति का आंकलन करने के बाद वल्र्ड गोल्ड काउंसिल की जो रिपोर्ट्स आ रही है, उनके अनुसार, मतलब साफ है कि गोल्ड के रेट्स इसी 1 लाख रुपये के आस पास भी जा सकते हैं। माना जा रहा है कि महज 6 से 18 महीने में ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड के रेट्स 3 हजार डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकते हैं, जो फिलहाल 2350 के स्तर पर चल रहे हैं। इसी तरह से भारत में सिल्वर के रेट्स 85 हजार से नीचे उतरकर 78 हजार पर आ गए हैं।  हालांकि गोल्ड की तुलना में अधिक सिल्वर उपयोग में आती है तथा कीमत भी कम लगती है साथ ही निवेश के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प मानी जाती है। भारत जैसे बहुत बड़ी जनसंख्या वाले देश में में सिल्वर में निवेश करने वाले लोगों के लिए, सिल्वर की शुद्धता को समझना तथा उसके अनुरूप रेट्स का निर्धारण करना बेहद आवश्यक है। माना जा रहा है कि सिल्वर इसी साल के अंत तक 1 लाख के पार भी पहुंच सकती है, इसीलिए इसे निवेश के लिए बेहतर लाभ देने वाले मेटल के रूप में देखा जा रहा है। और अब बात करते हैं लैब ग्रेन डायमंड की। हमने देखा है कि लैब ग्रोन डायमंड ने असली डायमंड को बाजार में कड़ी टक्कर देना शुरू कर दिया है। लैब में बने गए इन कृत्रिम डायमंड की डिमांड बढऩे से असली हीरों के कारोबार को चुनौती मिल रही है। कारण यही है कि डायमंड की प्रामाणिकता पर सदा संदेह रहा है तथा इसकी री सेल वैल्यू की भी गारंटी नहीं रही है।  ऐसे में पिछले कुछ सालों ज्वेलरी बनाने वाली दुनिया की कई कंपनियों ने अब खदानों से निकाले गए डायमंड का इस्तेमाल करने के बजाय उपनी ज्वेलरी में सिर्फ मानवनिर्मित डायमंड् यानी लैब ग्रैन डायमंड का ही प्रयोग करने लगी है। ब्रेसलेट्स के लिए मशहूर डेनमार्क की सबसे बड़ी ज्वेलरी निर्माता कंपनी पैंडोरा तो पहले से ही लैब ग्रोन यानी लेबोरटरी में बने डायमंड का इस्तेमाल करती रही है, वह तो  बहुत कम ज्वेलरी के लिए कुदरती डायमंड का इस्तेमाल करती है। डायमंड के बारे में जानकारी निकालें, तो साफ है कि कुदरती डायमंड जमीन के अंदर भारी दबाव और बहुत ऊंचे तापमान में लाखों वर्षों में कार्बन से तैयार होता है। उसी तरह से कार्बन को लैब में जमा करके हाई प्रेशर और हाई टेंप्रेचर के साथ ट्रीट करके आर्टिफिशल हीरे यानी लैब ग्रोन डायमंड का निर्माण किया जाता है, जिसको बाजार में विश्सनियता के मामले में तोजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। कुल मिलाकर बाजार में गोल्ड व सिल्वर के बढ़ते रेट्स तथा लैब ग्रोन डायमंड के नए चलन के बीच ग्राहकी कम होने के कारण ज्वेलर्स परेशान है तथा जेव्लरी बनाने वाले कारीगरों की हालत खराब है। वैसे, देखा जाए, तो सारे दिए एक जैसे नहीं होते, इसलिए ये दिन भी निकल जाएंगे, धीरज रखिये।


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