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गोल्ड सबसे हाई लेवल परकेवल डेढ़ दशक में 10 हजार से 60 हजार पार पहुंचा गोल्ड

Aabhushan Times









गोल्ड केरेट्स में ये ताजा तेजी आगे भी जारी रह सकती है और अगले महीनेभर में ही गोल्ड 62 हजार रुपये के लेवल को छू सकता है। बैंकिंग संकट ने गोल्ड महंगा किया, तो अब अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में नई बढ़ोतरी की आशंका और से गोल्ड की चमक केऔर बढ़ने के आसार हैं।












अमेरिका व यूरोप के बैंकों के डूबने व दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट के चलते गोल्ड केरेट्स में अप्रतत्य़ित तेजी देखनो को मिली है। मार्च के पहले सप्ताह में 55 पर ट्रेंड कर रहा गोल्ड मार्च बीतते बीतते 60 हजार से आगे का टॉप लेवल बना गया।










मार्च 2023 का वित्तीय वर्ष बीतते बीतते गोल्ड की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी दर्ज की गई। गोल्ड अतमाक तेजी पकड़ता हुआ अपने सबसे ऊंचे मुकाम पर पहुंच गया है और निवेशकों से लेकर, व्यापारियों तथा बैंकिंग व वित्तीय संस्थाओं को भी उसने अपनी इस तेजी से हत्तप्रभ कर दिया है। पिछले 17 साल में सोने की कीमतों में छह गुना बढ़ोतरी हुई है।पिछले केवल 17 साल में ही गोल्ड 10 हजार से बढ़कर सीथे 60 हजार के पार पहुंच गया है। पश्चिमी देशों में, विशेषतया अमेरिका और यूरोप में छाए बैकिंग संकट ने दुनिया भर के बाजारों को बुरी तरह से झकझोर कर रख दिया है।अमेरिका व यूरोप में बैंकिंग संकट के कारण वित्तीय व्यवस्था को सम्हालने में सरकारों के पसीने ढिट रहे हैं, इस वजह से गोल्ड की कीमतों को जबरदस्त सपोर्ट मिला रिजर्व गोल्ड स्टॉक के जरिए सरकारों की अर्थव्यवस्था सम्हालने की कोशिश मेंदुनिया भर में गोल्ड की कीमतें अपने अब तक सबसे रिकॉर्ड हाई लेवल पर पहुंच गई। वित्तीय वर्ष 2023 के आखरी सप्ताह से पहले ही गोल्ड 61 हजार से पार पहुंच गया था।


पिछले 17 साल में गोल्ड की कीमतों का इतिहास देखें, तोकेवल डेढ़ दशक में ही गोल्ड के रेट्स 10 हजार के आंकड़े से सीधे 60 हजार के स्तर तक पहुंचे हैं। मई 2006 में गोल्ड के रेट्स 10हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास थे और मार्च 2023 में गोल्डके रेट्स 60रुपये प्रति 10 ग्राम के पार जा चुके हैं। इस हिसाब से देखा जाए, तो कुल मिलाकर केवल 17 साल में सोना 50 हजार रुपये महंगा हुआ है, अर्थात सात गुना बढ़ोतरी दर्ज की है। निवेशकों के समीकरणों के हिसाब से देखा जाए, तो पिछले 17 साल में दुनिया के किसी भी निवेश के मुकाबले गोल्ड ने सबसे ज्यादा रिटर्न दिया है, तथा हर संकट में हर तरह से अर्थव्यवस्था को आधार दिया है।


गोल्ड का गणित समझना हो, तो 10 – 10 हजार के स्वलैब में समझना ज्याजा मजेदार है। गोल्ड में बढ़ोतरी के 10 हजार रुपए के स्लैब को देखें, तो 5 मई 2006 के गोल्ड 10 हजार रुपए प्रति दस ग्राम के भाव पर था। लेकिन चार साल बाद 6 नवंबर 2010 तक यह 20 हजार को पार कर गया था। उसके दो साल बाद 1 जून 2012 को गोल्ड 30 पहुंचा था, लेकिन फिर नीचे तो आया, परंतु 3 जनवरी 2020 को इसने 40 हजार का आंकड़ा पार कर लिया। मतलब, अगला 10 हजार का स्लैब यानी, 30 हजार से 40 हजार पहुंचने में इसे 2012 से लेकर 2020 तक कुल 8 साल लग गए। मगर, उसके बाद केवल 6 महीने में ही गोल्ड दस हजार रुपए फिर बढ़कर 22 जुलाई 2020 को 50 हजार के पार पहुंच गया। और एक बार फिर 6 महीने में ही 10 हजार की छलांग लगाता हुआ गोल्ड अब 20 मार्च 2023 को 60 हजार के पार जा पहुंचा है।


अमेरिका और यूरोप इन दिनों भारी बैंकिंग संकट में हैं। दरअसल, बैंकिंग संकट अमेरिका से शुरू हुआ, और केवल अमेरिका तक ही सीमित नहीं रह कर ये यूरोप में भी पसरता चला गया। मार्च महीने के मध्य तक दोनों महाद्वीपों में यब संकट इतना बढ़ गया कि वहां की सरकारों को उसे सम्हालने के लिए गोल्ड का सहारा लेना पड़ा, जिससे गोल्ड में तेजी आई। इन दोनों ही महाद्वीपों में बैंकिंग संकट कीवजह से दुनिया भर के लगभग सभी शेयरों मार्केट में गिरावट आई।बैंक डिफॉल्ट कर रहे हैं तथा बैंकिंग संकट ने पूरी दुनिया के वित्तीय हालात को झकझोर कर रख दिया है। मार्च महीने का तीसरा सप्ताह शुरू होते ही पहले सोमवार को दिल्ली के बुलियन बाजार में गोल्डतेजी पकड़ता हुआ 60,400 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।अर्थशास्त्री मानते हैं कि वित्तीय संकट की स्थिति में दुनिया भर के देशों सहित भारत में भी लोगअपनी संपत्ति को बैलेंस करने के लिए निवेश के रूप में गोल्ड को ही सबसे पसंदीदा विकल्प मानते हैं, क्योंकि इसे खरीदना और बेचना दोनों ही बेहद आसान होते हैं। इसी वजह से गोल्ड में तेजी आई है।


गोल्ड की कीमतों में बढ़ोतरी में अमेरिका और अन्य देशों में बैंकिंग संकट,शेयर बाजारों में नरमी, वित्तीय अनिश्चितता,डॉलर में कमजोर औरसुरक्षित निवेश साधनों की डिमांड की स्थिति हीसबसे बड़ी वजह है।दुनिया के लगभग सभी शेयर बाजारों में अनपेक्षित गिरावट कीवजह से अर्थव्यवस्था को गोल्ड का जो ताकतवर सपोर्ट मिला है, उसके चलते मार्च महीने के पहले व दूसरे सप्ताह में 55 हजार के लेवल के आस-पास घूम कर रहा गोल्ड मार्च बीतते बीतते 60 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के आंकड़े से आगे निकल चुका है। भारतीय इतिहास में ऐसे मौके बेहद कम देखे गए हैं, जब गोल्ड ने केवल एक सप्ताह में ही पांच हजार से भी ज्यादा की तेज छलांग लगाई हो।



इंटरनेशनल लेवल पर माना जा रहा है कि गोल्ड की कीमतों में ये तेजी आगे भी जारी रह सकती है।आनेवाले कुछ ही दिनों में केरेट्स 62 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के लेवल को भी पारकर सकते हैं। अब तक की तेजी के पीछे तो बैंकिंग संकट सबसे बड़ी वजह रहा। अमेरिकी फेडरल रिजर्व और अन्य देशों के सेंट्रल बैंकों द्वारा बढ़ाई गईं ब्याज दरों की वजह से बैकिंग संकट की स्थिति में शेटर बाजार धराशायी हो गए। लेकिन 62 हजार की अमेरिका और यूरोप इन दिनों भारी बैंकिंग संकट में हैं। दरअसल, बैंकिंग संकट अमेरिका से शुरू हुआ, और केवल अमेरिका तक ही सीमित नहीं रह कर ये यूरोप में भी पसरता चला गया। मार्च महीने के मध्य तक दोनों महाद्वीपों में यब संकट इतना बढ़ गया कि वहां की सरकारों को उसे सम्हालने के लिए गोल्ड का सहारा लेना पड़ा, जिससे गोल्ड में तेजी आई। इन दोनों ही महाद्वीपों में बैंकिंग संकट कीवजह से दुनिया भर के लगभग सभी शेयरों मार्केट में गिरावट आई।बैंक डिफॉल्ट कर रहे हैं तथा बैंकिंग संकट ने पूरी दुनिया के वित्तीय हालात को झकझोर कर रख दिया है। मार्च महीने का तीसरा सप्ताह शुरू होते ही पहले सोमवार को दिल्ली के बुलियन बाजार में गोल्डतेजी पकड़ता हुआ 60,400 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।अर्थशास्त्री मानते हैं कि वित्तीय संकट की स्थिति में दुनिया भर के देशों सहित भारत में भी लोगअपनी संपत्ति को बैलेंस करने के लिए निवेश के रूप में गोल्ड को ही सबसे पसंदीदा विकल्प मानते हैं, क्योंकि इसे खरीदना और बेचना दोनों ही बेहद आसान होते हैं। इसी वजह से गोल्ड में तेजी आई है।


गोल्ड की कीमतों में बढ़ोतरी में अमेरिका और अन्य देशों में बैंकिंग संकट,शेयर बाजारों में नरमी, वित्तीय अनिश्चितता,डॉलर में कमजोर औरसुरक्षित निवेश साधनों की डिमांड की स्थिति हीसबसे बड़ी वजह है।दुनिया के लगभग सभी शेयर बाजारों में अनपेक्षित गिरावट कीवजह से अर्थव्यवस्था को गोल्ड का जो ताकतवर सपोर्ट मिला है, उसके चलते मार्च महीने के पहले व दूसरे सप्ताह में 55 हजार के लेवल के आस-पास घूम कर रहा गोल्ड मार्च बीतते बीतते 60 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के आंकड़े से आगे निकल चुका है। भारतीय इतिहास में ऐसे मौके बेहद कम देखे गए हैं, जब गोल्ड ने केवल एक सप्ताह में ही पांच हजार से भी ज्यादा की तेज छलांग लगाई हो।



इंटरनेशनल लेवल पर माना जा रहा है कि गोल्ड की कीमतों में ये तेजी आगे भी जारी रह सकती है।आनेवाले कुछ ही दिनों में केरेट्स 62 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के लेवल को भी पारकर सकते हैं। अब तक की तेजी के पीछे तो बैंकिंग संकट सबसे बड़ी वजह रहा। अमेरिकी फेडरल रिजर्व और अन्य देशों के सेंट्रल बैंकों द्वारा बढ़ाई गईं ब्याज दरों की वजह से बैकिंग संकट की स्थिति में शेटर बाजार धराशायी हो गए। लेकिन 62 हजार की तेजी का आंकड़ा पकड़ने के पीछे खास वजह यही रहेगी कि मंदी की आशंका लगातार बनी हुई है, इसकी वजह से गोल्ड की कीमतें आगे भी चमकनी तय है। पिछले साल रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए युद्ध के बाद भारत मेंगोल्ड की कीमतों में कुछ गिरावट देखी गई थी, लेकिन दीपाववाली के आते आते गोल्ड अपनी जगह पर अड़ गया, और दीपावली के जाते ही तो गोल्ड ने जो रफ्तार पकड़ी, वह मार्च 2023 में ऐतिहासिक अपनी उच्च स्तर पर पहुंच गई है।


दुनिया भर के आर्थिक रूप से मजबूत देशों में मंदी के बादल मंडरा रहे हैं, शेयर बाजार इसी कारण टूटे हैं। भारत को छोड़ दें, तो लगभग सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं मेंभौगोलिक व राजनीतिक तनाव बना हुआ है। भारत में एक मजबूत व स्थिर सरकार है, तथा इसके आनेवाले कुछ सालों तक डिगने के कोई आसार नजर नहीं आते। लेकिन दुनिया के कई देशों में कमजोर सरकारें व एक – दूसरे देशों के बीच दबाव की स्थिति है, इसी कारण ग्लोबल लेवल पर दुनिया भर के शेयर मार्केट में उतारचढ़ाव का सिलसिला जारी है। जिसे बैलेंस करने के लिएविभिन्न ताकतवर देशों के मुद्रा कोष में कमजोरी से वहां के केंद्रीय बैंकों ने गोल्ड की खरीद बढ़ा दी है। भारतीय रिजर्व बैंक भी तेजी से गोल्ड की खरीदी कर रहा है। बुलियान बाजार के जानकारों केअनुभवों के आधार पर देखें, तो जब भी बैंकिंग संकट आया है, सुरक्षित निवेश के लिहाज से सबसे पहले गोल्ड को ही सपोर्ट मिला है, वर्तमान में जो हालात दिख रहे हैं, वे भी वही हालात हैं, जिनमें गोल्ड को सपोर्ट मिलना तय ही है। इसी वजह से गोल्ड की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी आई है, जिसके आगे भी जारी रहने के संकेत हैं।



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