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ज्वेलर्स परेशान और हैरानगोल्ड बढ़ा, सिल्वर चढ़ा, तो ग्राहक गायब!

  • Aabhushan Times
  • Mar 12
  • 7 min read

Updated: Mar 13


मुंबई को भारत की आर्थिक राजधानी कहा जाता है, साथ ही इस शहर को अपने विशाल ज्वेलरी बाजार के लिए भी देश भर में काफी प्रसिद्ध माना जाता है। मुंबई देश में ज्वेलरी का होलसेल प्रमुख बाजार है तथा यहीं से देश भर के विभिन्न शहरों, कस्बों व गांवों सहित दुनिया भर के देशों में ज्वेलरा भेजी जाती है। मुंबई में विभिन्न व्यापारिक इलाकों में ज्वेलरी का कारोबार सैकड़ों वर्षों से फल-फूल रहा है। लेकिन हाल के वर्षों में, ज्वेलरी के क्षेत्र में बिजऩेस बढ़ाने की चिंता व्यापारियों और निवेशकों के बीच बढ़ गई है। यह चिंता बढ़ती व्यापारिक प्रतिस्पर्धा, बदलते उपभोक्ता रुझानों, और अंतरराष्ट्रीय बाजार पर विभिन्न दबावों के प्रभाव के कारण उत्पन्न हुई है। लेकिन खास तौर से हाल के दिनों में गोल्ड के जो रेट्स काफी बढ़ते जा रहे हैं, उसके फलस्वरूप पिछले महीने भर से ग्राहकी लगभग न के बराबर है। हालांकि, ज्वेलरी बाजार में बढ़ती आपसी प्रतिस्पर्धा, ज्वेलरी उपभोक्ता की तेजी से बदलती पसंद, इंटरनेशनल मार्केट का असर, बाजार में अस्थिरता, आर्थिक हालात, विभिन्न देशों के बीच युद्ध की स्थिति तथा गोल्ड के रेट्स में उतार चढ़ाव के बावजूद ज्वेलरी का एक्सपोर्ट बिजनेस तो चल ही रहा है, मगर लोकल ट्रेडिंग भी चलती रही है। मगर, ज्वेलर्स की चिंता पिछले महीने भर से ग्राहकी के ठप हो जाने को लेकर है, क्योंकि खर्चे बढ़ते जा रहे हैं और आवक लगभग बंद सी हो गई है। हालांकि गोल्ड व सिल्वर के रेट बढ़ रहे हैं, मगर कमाई तो ग्राहकी खुलने से ही होती है।


भारत में ज्वेलरी निर्माण और ट्रेडिंग की बात करें, तो पिछले कुछ सालों में यह काफी तेजी से बढ़ा है।लेकिन भारत से ज्वेलरी निर्यात का व्यवसाय पिछले कुछ वर्षों में जरूर उतार-चढ़ाव के साथ कभी धीमा, तो कभी तेज रफ्तार के साथ आगे बढ़ रहा है। हम जानते हैं कि दुनिया भर में भारतीय ज्वेलरी की मांग अपनी अनूठी डिजाइन, शिल्प कौशल और सांस्कृतिक समृद्धि के कारण बनी हुई है। जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के हाल के आंकड़ों के आधार पर, ज्वेलरी सेक्टर की स्थिति को समझा जा सकता है। हालांकि, पिछले साल अर्थात 2024 में ज्वेलरी के निर्यात में कुछ चुनौतियों का सामना जरूर करना पड़ा। क्योंकि अप्रैल 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट लगभग 37 बिलियन डॉलर रहा, जो पिछले वित्त वर्ष 2022-23 के 39 बिलियन डॉलर से करीब 5 प्रतिशत कम था। यह गिरावट वैश्विक आर्थिक सुस्ती, मिडिल ईस्ट और यूक्रेन जैसे क्षेत्रों में राजनीतिक तनाव, और मांग में कमी जैसे कारण से जुड़ी है। विशेष रूप से, अगस्त 2024 में कुल निर्यात लगभग 17 हजार करोड़ रुपये रहा, जो अगस्त 2023 में 21 हजार करोड़ रुपए था। इसमें कटपॉलिश्ड डायमंड के निर्यात में 23 फीसदी और गोल्ड ज्वेलरी के निर्यात में लगभग सवा फीसदी की गिरावट शामिल है। इसके बावजूद, कुछ सकारात्मक रुझान भी हैं। उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2021-22 में मार्च से अक्टूबर के बीच निर्यात में 102 फीसदी की शानदार बढ़ोतरी हुई थी, जो लगभग 24 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई थी। यह दर्शाता है कि जब वैश्विक परिस्थितियां अनुकूल होती हैं, तो भारतीय ज्वेलरी की मांग मजबूत बनी रहती है।


कुल मिलाकर, भारतीय ज्वेलरी वैश्विक स्तर पर पसंद की जाती है, लेकिन इसका निर्यात बिजनेस वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों पर काफी निर्भर करता है। लेकिन ये सारी आंकड़ों की भाषा सामान्य ज्वेलरी विक्रेताओं की समझ से परे हैं। जो ज्वेलर बाजार में रिटेल सेल के स्टोर लेकर बैठे हैं, तथा जिन होलसेलर्स को लोकल लेवल पर करने वालों को अपनी ज्वेलरी बेचनी है, वे तो हर महीने के हिसाब में जब सेल कम देखते हैं, तो उनका माथा ठनक जाता है। वे बड़े बड़े ज्वेलरी एक्सपोर्ट हाउस की तरह नहीं सोच सकते कि इस साल की सेल में गिरावट को अगले साल कवर कर लेंगे। ताजा परेशानी गोल्ड के रेट 89,500 तक पहुंचने की है। केवल महीने भर में गोल्ड में सीधे 10 हजार रुपए की बढ़ोतरी और सिल्वर के रेट भी अचानक से तेजी पकडऩे के कारण रिटेल में ग्हारकी लगभग ठप सी है। हालांकि, विवाह का सीजन आगे हैं, उसकी खरीदी थोड़ी बहुत टचल रही है, लेकिन ग्राहक आम तोर पर इन दिनों में जितनी ज्वेलरी खरीदता है, उसकी 20 फीसदी सेल भी बाजार में नहीं है। इसी कारण ज्वेलर्स काफी परेशान हैं। 


वैसे, गोल्ड के बढ़ते रेट और ज्वेलरी की घटती सेल के बीच,मुंबई का ज्वेलरी मार्केट, अपने समृद्ध इतिहास और परंपरा के साथ, अभी भी एक विशाल संभावनाओं का क्षेत्र है। ज्वेलरी मार्केट के नए बिजनेसमेन जैसा कि नए नए तरीके अपना कर अपना व्यावसाय बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, पुराने ज्वेलरी व्यापारियों को भी बदलते समय के साथ खुद को ढालना होगा और नवीन तकनीकों व उपभोक्ता प्राथमिकताओं का उपयोग करना होगा। सही रणनीतियों और प्रयासों के साथ, यह बाजार न केवल अपनी पुरानी चमक को हर दौर में बनाए रख सकता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान को और मजबूत कर सकता है। मुंबई के देश का ज्वेलरी हब कहा जाता है। दक्षिण मुबई के ज़वेरी बाज़ार, दागीना बाजार, मुंबादेवी, तांबा कांटा, धनजी स्ट्रीट, वि_लवाड़ी, चंपा गली, भूलेश्वर, कालबादेवी, पायधुनी इलाके देश के ज्वेलरी मार्केट की गतिविधियों के खास केंद्र है। इन्हीं इलाकों से होलसेल ज्वेलरी के बिजनेसमेन देश भर में ज्वेलरी सप्लाई करते हैं, उन्हीं की परेशानी है कि ग्राहकी मार्च २०२५ में लगभग ठप सी है।


दूसरी तरफ देखें, तो मुंबई के ज्वेलरी मार्केट में प्रतिस्पर्धा दिन-ब-दिन बढ़ रही है। न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि देश के अन्य हिस्सों के बड़े बड़े ज्वेलर्स तथा अंतरराष्ट्रीय ज्वेलर्स से भी मुकाबला करना पड़ रहा है। ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म्स और बड़े बड़े ब्रांड्स के ज्वेलरी मार्केट में उतरने से छोटे और मध्यम ज्वेलर्स के लिए चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। ग्राहक अब पारंपरिक दुकानों से अधिक ऑनलाइन खरीदारी की ओर रुख कर रहे हैं, जहां उन्हें कई बार बेहतर दाम और अधिक विकल्प मिलते हैं। फिर, आज के उपभोक्ता ज्वेलरी सेक्टर में आधुनिक डिज़ाइन, हल्के वजन और नई वैरायटी को प्राथमिकता दे रहे हैं। पारंपरिक ज्वेलरी की मांग में कमी आई है, और ग्राहक अब फ्यूजऩ और कस्टमाइज़्ड ज्वेलरी की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं। इसके अलावा युवा पीढ़ी परंपरागत ज्वेलरी पर बड़ी रकम खर्च करने के बजाय बजट-फ्रेंडली और ट्रेंडिंग डिज़ाइन पसंद कर रही है। ग्लोबलाइज़ेशन के कारण अंतरराष्ट्रीय ज्वेलरी ब्रांड्स भी भारतीय बाजार में प्रवेश कर रहे हैं, जिससे स्थानीय व्यापारियों पर दबाव बढ़ा है। इन ब्रांड्स का मार्केटिंग बजट बड़ा होता है और वे क्वालिटी के साथ-साथ आधुनिक डिज़ाइन प्रस्तुत करते हैं। इसके अतिरिक्त, गोल्ड व सिल्वर की कीमतों में उतार-चढ़ाव और आयात-निर्यात पर लागू टैक्स नीतियां भी व्यापारियों के लिए समस्याएं खड़ी करती रही हैं। वैसे देखा जाए, तो कोविड-19 महामारी के दौर में ज्वेलरी मार्केट में दो बार ग्राहकी काफी मंदी देखी गई थी। वैसे, स्थितियां अब सामान्य हो रही है, लेकिन पुराने कस्टमर बेस को फिर से जोडऩा अभी भी ज्वेलर्स के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। हालांकि ज्वेलरी का मार्केट है ही ऐसा कि कभी मंदा तो कभी तेज चलता रहा है।


देखा जाए, तो दुनिया भर में भारतीय ज्वेलरी को पसंद करने का कारण इसकी विविधता और पारंपरिक शिल्प कौशल है। खाड़ी देशों में, जहां भारतीय समुदाय की बड़ी मौजूदगी है, उन संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका, हांगकांग और यूरोप जैसे बाजारों में इसकी खास मांग है। जीजेईपीसी के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका में निर्यात बढक़र 9 बिलियन डॉलर हो गया, जो पिछले साल 7 बिलियन डॉलर था। सरकार भी इसे बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है, जैसे कि यूएई के साथ मुक्त व्यापार समझौता और ई-कॉमर्स के जरिए निर्यात को प्रोत्साहन। हालांकि, मौजूदा वैश्विक चुनौतियों के कारण 2024 में ग्रोथ में कमी आई है, लेकिन फेस्टिव सीजन और भविष्य में आर्थिक सुधार की उम्मीद से उद्योग को फिर से रफ्तार मिलने की संभावना है। जीजेईपीसी ने 2030 तक 75 बिलियन डॉलर के निर्यात का लक्ष्य रखा है, जो इस क्षेत्र की दीर्घकालिक क्षमता को दर्शाता है।


देश के ज्वेलरी सेक्टर में लंबे वक्त तक बने रहने के लिए ज्वेलर्स को ग्राहकी कम होने की चुनौतियों से निपटने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि ग्राहकी बढ़ सके और मुनाफा भले ही कम हो, मगर खर्टे सर पर ना पड़ें। बाजार के जानकार कहते हैं कि ज्वेलरी व्यापारियों को अपने उत्पादों को ऑनलाइन बेचना शुरू करना चाहिए। वर्चुअल शो, सोशल मीडिया मार्केटिंग, और ई-कॉमर्स वेबसाइट्स का उपयोग ग्राहकों तक पहुंचने के लिए प्रभावी हो सकता है। इसके साथ ही डिज़ाइन में विविधता और आधुनिकता लाकर उपभोक्ताओं को आकर्षित किया जा सकता है। छोटे और हल्के गहनों के साथ-साथ कस्टमाइज़्ड ज्वेलरी की मांग पूरी करना फायदेमंद होगा। सरकार को भी इस क्षेत्र के व्यापारियों को समर्थन देना चाहिए। जीजेईपीसी जैसी संस्थाएं सस्ते ऋण, टैक्स में छूट, और कारीगरों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम उद्योग को बढ़ावा देने में सहायक साबित हो सकती हैं। इसके अलावा ज्वेलरी के लोकल व्यापारियों को अपने उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रदर्शित करने के अवसर तलाशने चाहिए। एक्सपोर्ट पर ध्यान देने से भी राजस्व में वृद्धि हो सकती है।


मुंबई ज्वेलरी का हब है, मगर ज्वेलर्स का धंधा ठप है। गोल्ड व सिल्वर के रेट अचानक से महीने भर में ही बेतहाशा तेजी के साथ बढ़ गए हैं। इससे ग्राहक बाजार से गायब हैं, और ज्वेलर हताश। रिटेल ज्वेलर्स के साथ साथ भारतीय ज्वेलरी एक्सपोर्ट सेक्टर  भी फिलहाल मंदा है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में ग्राहकी खुलेगी और एक्सपोर्ट भी बढ़ेगा।


नरेन्द्र मेहता - मुंबई


गोल्ड के रेट बढऩे से ज्वेलरी बिजनेस में मंदी की स्थिति उत्पन्न होती है, लेकिन यह एक अस्थायी है। यह बहुत ही सहज स्थिति है कि जब जब रेट बढ़ते है, तो ग्राहकी को झटका लगता है, लेकिन ज्वेलरी की सेल लंबे समय के लिए तो कभी बंद नहीं होती।




प्रमोद मेहता - शाइन शिल्पी


गोल्ड के रेट में उतार-चढ़ावएक बहुत ही सामान्य बात है। वैश्विक स्तर पर जब गोल्ड के रेट बढ़ते हैं, तो ज्वेलरी की मांग कम हो जाती है, लेकिन रेट स्थिर हो जाते हैं, तो ग्राहकी खुल भी जाती है तथा जब रेट घटते हैं, तो गोल्ड की मांग बढ़ती भी रही है।




किर्ती सुराणा - आराधना ज्वेलर्स प्रा. लि.


फिलहाल कुछ दिन की मंदी है, तो ज्वेलर्स को बिजनेस को मजबूत बनाने और ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए नए तरीकों का उपयोग करना चाहिए, ताकि सेल कुछ तो चलती रहे।वैसे, गोल्ड के रेट बढऩे से इन दिनों लाइट वेट ज्वेलरी का दौर है।





किशोर जैन - एम यु ज्वेलर्स


यह सही है कि पिछले महीने भर से मार्केट में ग्राहकी नहीं है, लेकिन गोल्ड व सिल्वर तथा डायमंड ज्वेलरी की डिमांड मौसम, त्योहारों और विवाह के सीजन सहित विशेष अवसरों पर बढ़ती है। ज्वेलर्स को हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।

 
 
 

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