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ट्रंप टेरिफ से सूरत के हीरा उद्योग पर संकटनिर्यात होगा प्रभावित; 400,000 कारीगरों की आजीविका पर संकट

  • Aabhushan Times
  • 6 days ago
  • 3 min read

गुजरात में सूरत के मध्य में स्थित तंग गली एक पुराने मकान के तहखाने की ओर जाती है। वहां 20 से अधिक मोटरसाइकल इस तरह खड़ी हैं कि पैदल चलने वालों के लिए थोड़ी भी जगह नहीं बची है। किसी अजनबी को वह मकान बिल्कुल वीरान लग सकता है लेकिन कुछ ही कदम चलने पर उस वाणिज्यिक परिसर की एक मंजिल पर हीरे तराशने का काम होता है। हीरा भारत की एक सबसे मूल्यवान निर्यात वस्तु है। इस इकाई में 26 कारीगर कंधे से कंधा मिलाकर बैठे हैं। वे कई तरह के औजार और लेंस के साथ हीरा तराशने में लगे हैं। वे कच्चे हीरों को दिल, अंडाकार, पन्ना और मार्कीज जैसे बारीक आकार में काटने के लिए तमाम संख्याओं के घने ग्रिड से भरे पन्नों को बार-बार देखते हैं।


दुनिया भर में मौजूद हर 10 में से 9 हीरों को सूरत में ही तराशा जाता है। इस प्रकार सूरत कच्चे हीरे को तैयार उत्पाद में बदलने का एक वैश्विक केंद्र बन गया है। ऐसी इकाइयां शहर के हीरा उद्योग की रीढ़ हैं और ये प्राकृतिक हीरों के अलावा प्रयोगशाला में तैयार किए गए हीरों को भी तराशने में माहिर हैं। सूरत की करीब 5,000 हीरा इकाइयां अमेरिका जैसे बड़े निर्यात बाजारों पर अत्यधिक निर्भर हैं। मगर अमेरिका की शुल्क नीतियों ने हीरा तराशने वाली इन इकाइयों की चिंता बढ़ा दी है। रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के क्षेत्रीय निदेशक (सूरत) रजत वानी ने कहा, 'इस प्रकार के शुल्क ढांचे का तात्कालिक प्रभाव यह होगा कि भारत और अमेरिका के बीच हीरा एवं आभूषण व्यापार ठप हो जाएगा। लोग स्थिति पर नजर रखते हुए चीजें स्पष्ट होने तक इंतजार करना चाहते हैं क्योंकि कई पहलुओं पर गौर करना होगा। अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इस महीने की शुरुआत में जवाबी शुल्क की घोषणा की थी। इसी क्रम में भारत से रत्न एवं आभूषण के आयात पर 26 फीसदी शुल्क लगाया गया। हालांकि ट्रंप ने जवाबी शुल्क को फिलहाल 90 दिन के लिए टाल दिया है, लेकिन अधिकतर वस्तुओं पर 10 फीसदी का बुनियादी शुल्क बरकरार रखा है। ऐसे में भारत का रत्न एवं हीरा उद्योग असमंजस की स्थिति में है।


तराशे गए हीरे और प्रयोगशाला में तैयार हीरे के अमेरिका में आयात पर कोई शुल्क नहीं लगता था, जबकि सोने के आभूषणों पर 5 से 7 फीसदी का शुल्क लगाया गया था। मगर ट्रंप प्रशासन के फैसले के बाद अब इन वस्तुओं पर क्रमश: 26 फीसदी और 31-33 फीसदी का शुल्क लगेगा। वित्त वर्ष 2025 में हीरे के निर्यात के लिहाज से अमेरिका 32.35 फीसदी हिस्सेदारी के साथ भारत का सबसे बड़ा बाजार रहा। उसके बाद 26.22 फीसदी हिस्सेदारी के साथ संयुक्त अरब अमीरात और 16.41 फीसदी हिस्सेदारी के साथ हॉन्ग कॉन्ग का स्थान है। अमेरिकी शुल्क ने पहले से ही सिकुड़ रहे इस बाजार को दोहरा झटका दिया है। जीजेईपीसी के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत के वैश्विक हीरा निर्यात बाजार में सालाना 20.16 फीसदी की गिरावट आई है। अमेरिकी बाजार को होने वाले निर्यात में ही 15 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और वह वित्त वर्ष 2024 में 9.82 अरब डॉलर से घटकर वित्त वर्ष 2025 में 8.34 अरब डॉलर रह गया।


जीजेईपीसी के गुजरात क्षेत्र के अध्यक्ष जयंतीभाई एन सावलिया ने कहा, आयात के लिए 90 दिन की अवधि होने के बावजूद शुल्क के बारे में अनिश्चितता बरकरार है। अगर 26 फीसदी शुल्क पर अमल किया गया तो इन उत्पादों पर मार्जिन को तगड़ा झटका लगेगा। सूरत के हीरा उद्योग में 8,00,000 से अधिक कुशल कर्मचारी कार्यरत हैं। हीरा तराशने वाली इकाइयों के प्रबंधकों का मानना है कि बाजार में लंबे समय तक नरमी और ट्रंप शुल्क के कारण 4,00,000 से अधिक कारीगरों की आजीविका प्रभावित हो सकती है। हीरा इकाइयों ने निर्यात बाजार के भागीदारों के साथ दशकों पुराने कारोबारी संबंध स्थापित किए हैं। हीरा इकाई के प्रबंधकों ने कहा कि उनका मार्जिन काफी कम है और ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि ट्रंप प्रशासन से एक अंक में शुल्क लगाएगा।


फिलहाल 25 कारीगर वाली इकाई औसतन 2,000 कैरट मूल्य के हीरे तराशने के बाद निर्यात कर सकती है। हालांकि 5 अप्रैल तक ऑर्डर लगातार मिल रहे थे और निर्यातक लगातार माल भेज रहे थे। मगर 9 अप्रैल को ट्रंप शुल्क की घोषणा होने के बाद कई विनिर्माताओं ने अनिश्चितता के कारण भविष्य के ऑर्डर के लिए उत्पादन लगभग बंद कर दिया है। आयातकों ने भी भारतीय निर्यातकों को 10 अप्रैल के बाद आपूर्ति को फिलहाल टालने के लिए कहा है। सावलिया ने कहा, अगर आपूर्ति के लिए उत्पादन नहीं हुआ तो सभी ऑर्डर रद्द कर दिए जाएंगे। 26 फीसदी शुल्क पर शायद ही कोई खेप अमेरिका पहुंचेगी।


साल 2023 में वैश्विक हीरा निर्यात 75.6 अरब डॉलर का रहा जिसमें भारत की हिस्सेदारी 22.9 फीसदी पर सबसे अधिक रही। गौर करने वाली बात यह भी है कि ट्रंप शुल्क के कारण भारतीय हीरा व्यापार को भले ही झटका लगेगा लेकिन इससे अमेरिका को भी नुकसान होगा क्योंकि वह काफी हद तक भारतीय हीरा आयात पर निर्भर है।

 
 
 

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