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तो क्या दो साल में गोल्ड 1 लाख पार?

Aabhushan Times

क्योंकि वैश्विक अनिश्चितता के दौर में गोल्ड ही हर देश के लिए सबसे सुरक्षित निवेश










गोल्ड का इतिहास है कि उसकी चमक कभी फीकी नहीं पड़ती, दुनिया और दुनियादारी में इसकी चमक हर किसी का दिल जीत लेती है और जब हर मार्केट की चाल कछुए की तरह धीमी चल रही होती है तब भी गोल्ड तेज़ी से आगे बढ़ रहा होता है, क्योंकि गोल्ड हर व्यक्ति को लुभाता है। न केवल ख़ास तौर पर भारत में, हल्कि दुनिया भर के देशों में गोल्ड न सिर्फ एक जमा पूंजी या निवेश की तरह देखा जाता है बल्कि इसका शादियों, त्यौहारों, धार्मिक कार्यों और सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए भी उपयोग भी किया जाता है। यही कारण है की भारत, चीन के बाद दुनिया में गोल्ड का सबसे बड़ा उपभोक्ता है और भारत सरकार गोल्ड के इम्पोर्ट पर कंट्रोलिंग के लिए कस्टम ड्यूटी जैसे टैक्स भी लगाती है। असल में देखा जाए, ये भारत सरकार द्वारा गोल्ड पर लादी गई कस्टम ड्यूटी देश में गोल्ड की कीमत को निर्धारित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, मगर सबसे पहले हर किसी के लिए ये जानना बेहद ज़रूरी है कि दुनिया भर के बाजारों में आखिर, गोल्ड के मामले में कुछ समय से चल क्या रहा है। लेकिन उससे भी पहले यह निष्कर्ष जानना जरूरी है कि गोल्ड जिस तेजी से आगे बढ़ता जा रहा है, तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जो आर्थिक हालात बनते जा रहे हैं, उसमें आने वाले दो साल में गोल्ड एक लाख का आंकड़ा छू सकता है, क्योंकि किसी भी हाल में गोल्ड ही सरकारों से लेकर लोगों तक के लिए सबसे बेहतर निवेश है। गोल्ड के वर्तमान हालात की बात की जाए, तो अप्रेल 2023 के आखरी दिनों तक गोल्ड 60 हजार का आंकड़ा पार करता हुआ आगे बढ़ गया है। इस लिहाज से इतिहास में देखें, तो सन 2010 के बाद से गोल्ड ने सबसे अच्छा प्रदर्शन 2019 में किया, जब साल भर में ही डॉलर के हिसाब से गोल्ड लगभग 18.5 प्रतिशत तक बढ़ा। इसके साथ-साथ क्योंकि डॉलर की रूपए में कीमत बढ़ रही थी तो अगर हम रूपए में गोल्ड की कीमतों को देखें तो यह आंकड़ा और भी अधिक होगा। तब अमेरिका ने अपने ब्याज दरों को इतना कम करने का फैसला किया कि निवेशकों के लिए अन्य निवेश विकल्पों की तुलना में, गोल्ड और अधिक आकर्षक हो गया, इसी कारण दुनिया के सभी देशों में लोग सुरक्षित निवेश का नाम पर गोल्ड पर टूट पड़े और बेतहाशा खरीददारी की। फिर बाद के दिनों में कोराना महामारी के दौरान, लगभग हर देश के बाजारों में व्यापारिक हालातों के खराब प्रदर्शन ने वित्तीय निवेशकों को गोल्ड की ओर आकर्षित भी कर दिया। यहां विशेष तोर पर ध्यान देने वाली बात यह है कि अमेरिका जैसे विकसित देशों और भारत जैसी अर्थव्यवस्था वाले देशों के बीच ब्याज दरों में अंतर गोल्ड की कीमतों पर काफी बड़ा प्रभाव डालते हैं। भारत एक विकसित होती अर्थव्यवस्था वाला देश है, यहां ब्याज अमेरिका के मुकाबले निश्चित तौर पर हमेशा ज्यादा ही रहेगी, जिसकी वजह से डॉलर की रुपए में कीमत बढ़ेगी ही। अत: जब गोल्ड की कीमत डॉलर में न बढ़े, लेकिन गोल्ड की कीमत रुपए में तो लंबे समय में बढ़ेगी ही चाहे कोई ऐसी परिस्थिति हो। इसीलिए सदा सदा से भारतवासियों के लिए गोल्ड में निवेश हमारी जमा पूँजी जमा करने का बेहतरीन जरिया रहा है।


भारतीय बाजारों में गोल्ड की बिक्री कभी कम नहीं होती, क्योंकि भारतीय समाज में गोल्ड में निवेश का चलन सदा से रहा है, तथा पिछले पांच साल की बात की जाए, तो इन वर्षों के दौरान गोल्ड ने अपने निवेशकों को 90 फीसदी से ज्यादा कमाई दी है, तथा पिछले केवल एक साल में तो कुल 18 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दिया है, जो कि किसी भी निवेश से ज्यादा है, तथा तत्काल बिक्री के योग्य भी है। 17 अप्रैल, 2018 को अक्षय तृतीया पर गोल्ड 32,550 रुपए प्रति दस ग्राम था, जबकि अभी यह 62000 रुपए के स्तर पर है। हालांकि पिछले दिनों गोल्ड 63000 रुपए प्रति दस ग्राम का आंकड़ा भी छूकर लौटा है। गोल्ड के रेट्स इतने तेज होने के बावजूद निवेशक मौजूदा दौर में इक्विटी बाजार या प्रॉपर्टी से ज्यादा गोल्ड की खरीदी को प्राथमिकता दे रहे हैं। इस वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में गोल्ड लगातार महंगा हो रहा है। उधर, वर्ल्ड गोल्ड कौंसिल के मुताबिक भारत में हर साल करीब 600 टन गोल्ड ज्वेलरी की सेल होती हैं, इनमें से करीब 30 टन गोल्ड ज्वेलरी का कारोबार अकेले राजस्थान में हुआ है और सबसे ज्यादा मुंबई में 160 टन से ज्यादा। दक्षिण के राज्यों में भी गोल्ड की सेल काफी तगड़ी होती है, लेकिन ज्यादातर का केंद्र मुंबई ही है, इस कारण वहां की सेल भी मुंबई के खाते में ही मानी जाती है। मुंबई गोल्ड ज्वेलरी निर्माण का सबसे बड़ा केंद्र होने व ज्यादातर शहरों की सप्लाई यहीं से होने के कारण यहां पर ज्वेलरी की सेल सबसे ज्यादा मानी जाती है।


वैश्विक स्तर पर गोल्ड के कारोबार का विश्लेषण करनेवाले जानकारों के मुताबिक कोविड में लागू हुए लॉकडाउन से पैदा हुई मंदी के दौर को भले ही दो साल से ज्यादा का समय बीता हो, लेकिन उसी मंदी के बाद दुनियाभर में बढ़ी महंगाई से मुकाबले के लिए निवेशकों का फोकस गोल्ड पर ज्यादा बढ़ा है। खुदरा निवेशकों के साथ दुनिया भर के सेंट्रल बैंक और अमीर लोग गोल्ड ही खरीद रहे हैं। भारत में अत्यधिक उच्च वर्ग का अमीर तबका भी सबसे ज्य़ादा निवेश गोल्ड में ही कर रहा है। दुनियाभर के अमीरों का गोल्ड में निवेश देखा जाए, तो समस्त संसार के गोल्ड में ऑस्ट्रिया का 8त्न भारत तथा चीन का 6त्न चेक रिपब्लिक का 5त्न यूएई, हॉगकॉग व मलेशिया का 4त्न स्विट्जरलैंड का 3त्न ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर तथा ब्रिटेन का 2त्न एवं इटली के साथ ही दक्षिण कोरिया व अमेरिका का 1त्न निवेश है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। हाई इन्कम नेटवर्थ वाले निवेशक भी जब गोल्ड में ही भरोसा करते जा रहे हैं, तो फिर छोटे लोगों की तो कुल जमा पूंजी ही सदा सदा से केवल गोल्ड में निवेश होती रही है। ऐसे हालात में मुंबई के गोल्ड मार्केट में बुलियन के साथ साथ ज्वेलरी में भी खरीदी लगातार बने रहने के आसार हैं, क्योंकि भले ही गोल्ड महंगा होता जा रहा है, लेकिन उसके साथ ही उसकी अहमियत भी बढ़ती जा रही है। क्योंकि दुनिया भर के देश भी इसी के द्वारा अपने अर्थव्यवस्ता को अंकुश में रखने की राह तलाश रहे हैं।


ताजा हालात में गोल्ड के लगातार बढ़ते रहने के पीछे जो हालात है, उनके बारे में जानकारों का कहना है कि विश्व की सबसे ज़्यादा मजबूत मुद्रा वाली अर्थव्यवस्था में अमेरिका नंबर वन और और चीन दूसरे नंबर पर है। पिछले कुछ वर्षों से संसार की इन दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच आपस में व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा चल रही है, दोनों देश एक दूसरे की कंपनियों पर टैक्स बढ़ा रहे हैं, जिससे दोनों देशों को आर्थिक नुकसान हो रहा है, इसी कारण दोनों देशों के निवेशक अपना इन्वेस्टमेंट गोल्ड में करना ही ज्य़ादा सुरक्षित मान रहे हैं, जिसकी वज़ह से गोल्ड लगातार महंगा होता जा रहा है। अगर अमेरिका और चीन में कोई समझौता होता दिखेगा तो ही गोल्ड के रेट्स में कमी होती नजऱ आयेगी।


बुलियन ट्रेडर्स के मुताबिक गोल्ड की कीमत लगातार बढ़ते ही रहने तथा सोच से भी अधिक होने के बावजूद 22 अप्रैल को अक्षय तृतीया पर आभूषणों की खुदरा मांग काफी जबरदस्त रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इससे गोल्ड की डिमांड बढ़ी तथा रेट में भी कोई कमी नहीं दिखी। गोल्ड का गहन अध्ययन करनेवाले कहते हैं कि दुनिया में जिस तरह के आर्थिक हालात बनते जा रहे हैं, उन्हें देखकर कहा जा सकता है कि आने वाले दो साल में गोल्ड 1 लाख रुपए प्रति दस ग्राम का आंकड़ा छू ले, तो भी कोई खास बात नहीं है।










इंटरनेशनल मार्केट के जानकारों का मानना है कि विश्व की बड़ी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के संघर्ष के चलते गोल्ड की कीमतों में वृद्धि होते रहना तय है। मुद्रास्फीति को प्रबंधित करने के लिए फेडरल रिजर्व और अन्य केंद्रीय बैंक ब्याज दरों पर नियंत्रण कस रहे हैं, जिससे गोल्ड की मजबूती की धारणा प्रबल होती जा रही है।








जयंत जैन - जीएम मॉड्यूलर

वैश्विक हालातों में कई देशों की डगमगाती आर्थिक स्थिति, मंदी की चिंता, मुद्रास्फीति के रुझान और क्रिप्टो परिसंपत्तियों की कम मांग जैसे कारणों से गोल्ड की कीमतों को लगातार बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। वैश्विक अनिश्चितता के दौर में हर देश में गोल्ड ही एक सुरक्षित निवेश के तौर पर देखा जाता है।








नोविल राणावत - स्वर्ण शिल्प चेन्स

साल अंतरराष्ट्रीय बाजार में गोल्ड के सकारात्मक रुझान के साथ 2200 डॉलर के आगे दायरे में कारोबार करने की उम्मीद है। डॉलर की कीमतों को सम्हालने के लिए उठाए गए कदमों के कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों को और सख्त करने से अगले साल गोल्ड की कीमतों पर गहरा सकारात्मक असर पड़ सकता है।








विराज थडेश्वर - श्रृंगार हाऊस ऑफ मंगलसूत्र

सन 2023 की शुरूआत से ही भाव बढऩे के बावजूद गोल्ड और गोल्ड ज्वेलरी की मांग में जोरदार वापसी हुई है आने वाले समय में भले ही भाव बढ़ जाएं, लेकिन सेल कम नहीं होगी, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक हालात ही ऐसे हैं। लेकिन हां, अगर गोल्ड के दाम स्थिर हो जाते हैं तो सभी को अच्छी सेल की उम्मीद है।








चिंतन सोलंकी - संगम चेन्स

दुनिया के किसी भी देश में अभी तक गोल्ड की कीमतें इतनी ज्यादा नहीं बढ़ी है कि लोग खरीद ही नहीं सकें। लोगों की खरीदी की क्षमता के भीतर ही गोल्ड तेजी पकड़ता जा रहा है। लेकिन अब इसके रेट्स के नीचे गिरने के आसार कम ही है, बल्कि आने वाले समय में गोल्ड की कीमतों में और ज्यादा इजाफा हो सकता है।



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