पुराने सोने को गलाकर नए गहने बनवाने में ग्राहक और सरकार दोनों को हो रहा नुकसान
- Aabhushan Times
- Jun 17, 2023
- 2 min read

मुंबई । पुराने सोने की भी हॉलमार्किंग को लेकर केंद्र सरकार गंभीर है। सरकार की नजर में आया है कि कई सुनार ( ज्वेलर) पुराने सोने से नए गहने बनवाने आए ग्राहकों से घालमेल करते हैं । चूंकि, वह ज्वेलरी रिफाइंड बुलियन से नहीं बनी होती है। ऐसे में उसमें शुद्धता भी कम होती है और उस पर हॉलमार्किंग भी नहीं होती । सूत्रों के अनुसार, सालाना करीब 300 टन सोना (1 लाख 80 हजार करोड़ रुपये) विना विलिंग के एक्सचेंज हो रहा है और इस पर सरकार को 5,400 करोड़ रुपये का जीएसटी का नुकसान है। अब कोशिश यह है कि ज्वेलर्स सिर्फ रिफाइंड बुलियन से ही ज्वेलरी बना पाएं, ताकि शुद्धता पुख्ता हो ।।
ऐसे में सरकार अब पुरा गोल्ड पर ज्वेलरी हमेशा रिफाइनर हॉलमार्किंग को लेकर रास्ता बनाने की तैयारी। में है, ताकि ग्राहकों को एक्सचेंज में शुद्ध सोना मिले और सरकार को जीएसटी । ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (क्चढ्ढस्) ने मुंबई के जेम्स ऐंड ज्वेलरी मार्केट के स्टेकहोल्डर्स के साथ बुलियन हॉलमार्किंग पर मीटिंग की और सुझाव भी मांगे हैं। एक ज्वेलर ने नाम न लिखे जाने की शर्त पर बताया कि कई जगह नॉन प्रफेशनल ज्वेलर्स पुरानी ज्वेलरी को खुद ही गलाते हैं। ज्यादा खोट होती है, तो रिफाइन करने भेजते हैं, अन्यथा उसी मेल्टेड गोले से नई ज्वेलरी बना देते हैं। ग्राहकों को जीएसटी न देने का लालच देते हैं और विना विलिंग के काम हो जाता है।
ज्वेलरी हमेशा रिफाइनरके पास ही जाती है
इंडियन ज्वेलरी शॉपिंग फेस्टिवल के जॉइंट कन्वीनर मनोज झा ने कहा कि पुरानी ज्वेलरी मेल्टर के पास न जाकर हमेशा रिफाइनर के पास जाती है और बुलियन में कंवर्ट होती है। उस बुलियन से ही सभी ज्वेलर्स नई ज्वेलरी बनाते हैं। मेल्ट करके टच रिपोर्ट निकालना जरूरी है, वरना किसी ने कोई छेड़छाड़ की होगी, तो ज्वेलर को पता कैसे चलेगा। ज्वेलर उसको रिफाइन करवाकर बुलियन से नई ज्वेलरी बनाता है।
साभार - नवभारत टाइम्स्
For more Updates Do follow us on Social Media
Facebook Page-https://www.facebook.com/aabhushantimes
Instagram -https://www.instagram.com/aabhushantimes
Comentarios