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भावेश गोल्डसंपतराज सोलंकी व भावेश सोलंकी मंगलसूत्रमें दबदबा दिखाया पिता पुत्र की जोड़ी ने

Aabhushan Times







कहते हैं कि रिश्ते वो नहीं होते जो खून से बनते हैं, बल्कि रिश्ते वो होते हैं जो खून में चढक़र आपका साथ देते हैं। बस यही छोटा सा, बल्कि बेहद महत्वपूर्ण संदेश देती है। भावेश गोल्ड की सफलता की कहानी। देखा जाए, तो हर बेटा पिता का साथ देता है, लेकिन संपतराज सोलंकी ने जो मेहनत की, तथा उनके बेटे भावेश ने पिता के कदम से कदम मिलाकर उनकी ज्वेलरी कंपनी की सफलता को नई उंचाई देने में अपने जिस संकल्प की साधना की, वही मेहनत आज भावेश गोल्ड की सफलता की कहानी है। वरना, ज्वेलरी में आने से पहले संपतराज सोलंकी तो कपड़े के कारोबार में थे, गोल्ड के बारे में बेहद कम जानकारी रखते थे, लेकिन अपने पुत्र भावेश सोलंकी के साथ मिलकर सन 2005 में उन्होंने भावेश गोल्ड की स्थापना की, तो मंगलसूत्र की दुनिया के आकाश में आज भावेश गोल्ड का नाम किसी चमकते धु्रव तारे की तरह दिख रहा है। इसे भावेश और उनके पिता की सफलता की कहानी के रूप में देखा जाता है।


सन 2005 से पहले संपतराज कपडे के कारोबार में अपनी जिंदगी की सफलता तलाश रहे थे। लगातार 15 साल तक उन्होंने उसी कारोबार में सफलता के रास्ते तलाशे। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, सो एक दिन अचानक कपडे का व्यवसाय करते करते उनको गोल्ड बिजनेस में तेजी से आगे बढ़ते मंगलसूत्र सेक्टर की तरफ गया, और तत्काल ही अपने मन की बात बेटे भावेश को बताई और मंगलसूत्र के कारोबार में कदम रखने का फैसला कर लिया। पिता - पुत्र ने मिलकर सन 2005 में मुंबई में जवेरी बाजार से सटे विठ्ठलवाडी में अपने व्यवसाय की शुरूआत की और नाम रखा भावेश गोल्ड। दोनों ने इस कंपनी की शुरूआत ही मंगलसूत्र के होलसेल बिजनेस से की, और भावेश ने पिता के हर फैसले में उनका साथी व सहयोगी बनकर साथ निभाया। पिता-पुत्र की इस जोडी बेहद कम समय में ही मंगलसूत्र के बेहतरीन डिजाइंस, उनकी शानदार बनावट तथा कमाल की कारीगरी तथा एकदम नएपन की वजह से जबरदस्त दबदबा बनाया। अब भावेश गोल्ड का जवेरी बाजार के ज्वेलरी हब ग्लिट्ज् मॉल में ऑफिस हैं, जहां पर हर तरह के मंगलसूत्र मिलते भावेश गोल्ड द्वारा निर्मित लाँग मंगलसूत्र काफी फेमस है, जिनमें हेरिटेज मंगलसूत्र में तो उनका कोई सानी नहीं है। बाजार के जानकारों की बात मानें, तो मुंबई में हेरिटेज मंगलसूत्र की संकल्पना के जनक संपतराज सोलंकी और भावेश सोलंकी ही है, जिनके हेरिटेज मंगलसूत्र बेहतरीन किस्म के एंटिक का लूक देते हैं। यही नहीं, भावेश गोल्ड शॉर्ट, फैन्सी और अन्य सभी तरह के मंगलसूत्र के निर्माता भी हैं। दरअसल, ज्वेलरी के मंगलसूत्र सेक्टर में भावेश जैन तेजी से सफलता के पथ पर इसी कारण आगे बढ़ सके, क्योंकि वे दूसरों से अलग तरह की सोच रखते हैं। उनका हर कदम ज्वेलरी मार्केट के बाती लोगों से अलग होता है, वे औरों से कुछ ऐसा खास अलग करते हैं कि सारे दंग रह जाते हैं। इसी खुछ खास किस्म की अलग सोच का ही परिणाम है हेरिटेज मंगलसूत्र। भावेश गोल्ड के इसी हेरिटेज मंगलसूत्र नेमहिलाओं की इस पसंदीदा ज्वेलरी को नये आयाम दिये हैं। यह नया आयाम है पूरी भारत, जहां देश के हर प्रदेश में भावेश गोल्ड के मंगलसूत्रों की अलग पहचान है। मुंबई में मुख्यालय होने की वजह से भावेश गोल्ड के मंगलसूत्रों की महाराष्ट्र में तो भारी डिमांड है ही, पूरे देश भर में उनका व्यापार फैला हुआ है। अपने ज्वेलरी बिजनेस को लगातार नए आयाम देने के लिए वे हर साल तीन से चार बडी व प्रतिष्ठित ज्वेलरी एग्जीबिशन में हिस्सा लेते हैं, जहां पर जबरदस्त नेटवर्किंग के जरिए बाजार के हर तबके में उनकी जबरदस्त पहुंच है। देश भर के ज्वेलर्स में अपनी पहुंच को मजबूती देने के लिए वे हर तरह के मंगलसूत्रों में नए नए बेहतरीन परिवरितन तो लाते ही रहते है, तथा इसी परिवर्तनशीलता को लगातार आगे बढ़ाने के लिए वे ज्वेलरी मार्केट की गहन स्टड़ी भी रखते हैं। वे जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी), जेम्स एंड ज्वेलरी काउंसिल (जीजेसी), इंडिया बुलियंस एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (इब्जा)के सदस्य तो हैं ही, ज्वेलरी यूथ फोरम (जेवाईएफ)के फाउंडर सदस्य भी हैं तथा जेआईएसए की नेशनल कमेटी के सदस्य भी है। अगस्त 2023 में मुंबई में होनेवाले आगामी आइआइजेएस - प्रीमियर एग्जीबिशन में उनके परिवार के एक और सदस्य की लॉचिंग हो रही है। आइआइजेएस - प्रीमियर के जरिए इस परिवार का एक और सदस्य मृनेश भी गोल्ड के कारोबार में कदम रखने जा रहा हैं। अपने भांजे मृनेश के साथ सोलंकी अपनी एक नई फर्म बॉम्बे बुलियन मेटल एलएलपी की शुरुआत करने जा रहे है। मतलब, भावेश गोल्ड अब बुलियन के कारोबार में भी उतर रही है। पिता संपतराज सोलंकी और बेटे भावेश सोलंकी की जोड़ी के बाद अब परिवार का एक और सदस्य मृनेश भी गोल्ड के कारोबार में। भावेश गोल्ड का इतिहास देखें, तो यह एक पिता - पुत्र का रिश्ता तो है ही, व्यापार में भी बराबरी का रिश्ता बन गया है, जो दोनों को तेजी से आगे लाकर जा रहा है। इसीलिए कहते हैं कि निश्चित तौर पर रिश्ते खून के काफी नजदीक होते हैं, लेकिन खून के रिश्तों में विचारों की समानता भी आ जाए, तो वह सफलता का नया इतिहास रच देती है। भावेश और संपतराज सोलंकी की सफलता के इतिहास के पन्ने पर आज ज्वेलरी मार्केट में दोनों का मंगलसूत्र के क्षेत्र में दबदबा साफ दिखता है।










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