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वैश्विक आर्थिक, राजनीतिक व सामरिक हालात से साफ संकेतगोल्ड की कीमत इसी साल 75 हजार संभव!

Aabhushan Times








इंटरनेशनल मार्केट में गोल्ड की कीमतें बढऩे के आसार जताए जा रहे हैं। ग्लोबल लेवल पर महंगाई दरों के लगातार ऊंचे बने रहने और वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था में सुस्ती बने रहने की वजह से गोल्ड के रेट्स को ऊपर जाने में सपोर्ट मिल रहा है।


ग्लोबल लेवल पर कीमतों में रिकॉर्ड तोड़ तेजी के बीच भारतीय बाजारों में भी गोल्ड में तेजी देखने को मिल रही है। गोल्ड की कीमतों के नीचे उतरने की कोई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि पिछले दो महीने से गोल्ड लगातार तेजी पकड़े हुए हैं। मुंबई सहित देश भर के ज्वेलर्स के लिए पिछले दो महीने सीजन का वक्त होने का कारण व्यापार के लिहाज से तो ठीक रहे है, गोल्ड की बढ़ी कीमतों के हिसाब के कारण भी बेहद शानदार रहे हैं। गोल्ड मार्केट में बुलियन हाजिर से लेकर फ्यूचर तथा एमसीएक्स से लेकर कॉमेक्स तक हर जगह कीमतों ने रिकॉर्ड बनाया है, तो इस बीच ज्वेलर्स का धंधा भी अच्छा खासा चल पडऩे के कारण उनके लिए भी यह कमाई का दौर रहा है। इंटरनेशनल मार्केट के जानकारों को कहना है कि वैश्विक स्तर पर जो आर्थिक, राजनीतिक व सामरिक हालात बन रहे हैं, वे साफ तौर पर इस बात के संकेत दे रहे हैं कि आनेवाले दिनों में गोल्ड के रेट्स में यह बढ़ोतरी और तेजी से बढ़ेगी और इसी साल यानी 2024 के अंत तक गोल्ड 75 हजार के आसपास पहुंच जाए। फिलहाल गोल्ड 63 हजार से आगे हैं और 75 हजार पार करने के लिए केवल हर महीने 500 रुपए का इजाफा कोई बहुत मुश्किल नहीं लगता।


दिसंबर के शुरू में ग्लोबल मार्केट में गोल्ड की कीमतें पहली बार 2100 डॉलर प्रति औंस के ऊपर गई थीं और घरेलू फ्यूचर मार्केट में भी गोल्ड पहली बार 64 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को पार कर गया था। जनवरी के शुरूआत में भले ही ग्लोबल मार्केट में गोल्ड की कीमतें पहली बार 2040 डॉलर आ गई है, लेकिन घरेलू मार्केट में गोल्ड कैश में अभी भी 63 हजार के आगे बही चल रहा है। आने वाले दिनों में गोल्ड की कीमतें एक बार फिर से 2100 डॉलर प्रति औंस के ऊपर जा सकती है, तो इस बार जब गोल्ड 2100 का आंकड़ा छुएगा, तो लोकल मार्केट में कैश में इस बार 66 के पार भी गोल्ड जा सकता है। कैश का फ्लो बढऩे से यह बहुत संभव है कि आनेवाले तीम महीने गोल्ड की सेल के लिए काफी अच्छे रह सकते हैं क्योंकि मार्च के शुरू होते ही देश भर में फिर से आचार संहिता लग सकती है क्योंकि आम चुनाव होनेवाले हैं। 


गोल्ड के ग्लोबल मार्केट में तेजी का कारण पिछले महीने में दुनिया भर को अलर्ट करनेवाला यूएस फेडरल रिजर्व का एक बयान है। इस बयान में यूएस फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने आर्थिक तंगी की बात कही थी। दरअसल, गोल्ड का इंटरनेशनल मार्केट बेहद संवेदनशील है, जो किसी भी आर्थिक संकट की संभावना के संकेत पर भी हिल सकता है। इसी वजह से यूएस फेडरल रिजर्व के चेयरमैन के बयान के बाद यूएस डॉलर इंडेक्स और यूएस बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड में देखी जा रही गिरावट की वजह से ग्लोबल मार्केट में जबरदस्त तेजी आई। पॉवेल के इस बयान से पहले भी यूएस फेडरल रिजर्व के कुछ अधिकारियों की तरफ से ऐसे ही बयान आ चुके हैं। इन बयानों से इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक इसी साल मार्च से ब्याज दरों में कटौती शुरू कर सकता है। अगर ऐसा होता है, तो फिर गोल्ड के ग्लोबल मार्केट में तेजी का यह सबसे बड़ा कारण होगा और सच में ऐसा हुआ, तो गोल्ड की कीमतें तेजी से ऊपर जाने के आसार हैं।


भारतीय घरेलू फ्यूचर मार्केट में एमसीएक्स पर गोल्ड की कीमतों ने लगातार रिकॉर्ड बनाना जारी रखा है। बाजार में कैश में भी गोल्ड ऑल टाइम हाई का नया आंकड़ा बना रहा है। इससे पहले एमसीएक्स पर गोल्ड का बेंचमार्क फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट दीपावली के आसपास 56 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम तक नीचे चला गया था। लेकिन आज के भाव देखें, तो 63 पर है, उस हिसाब से केवल दो महीने में ही गोल्ड की कीमतों में तकरीबन 15 फीसदी की तेजी आई है। दीपावली के बाद से कैश में यह तेजी 5 फीसदी है, जो कि बहुत ही शानदार कही जाती है। बैंकों में फिक्स डिपोजिट में 5 फीसदी मिलनेवाले सालाना रिटर्न के मुकाबले केवल महीने भर में ही गोल्ड से मिल रहे 5 फीसदी के कारण आम निवेशकों का गोल्ड में विश्वास बढ़ा है, इसी कारण बाजार में बुलियान में तो खरीदी बढ़ ही रही है, रिटेल मार्केट में भी सेल काफी तेजी से बढ़ रही है।


जनवरी महीने के शुरूआत में गोल्ड के हाजिर भाव में भी रेट अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं। 24 कैरेट यानी 999 गोल्ड के रेट्स जनवरी के शुरूआत में और मजबूती पकडक़र आगे बढ़ रहे हैं। गोल्ड के रेट्स कैश में 31 अक्टूबर को 61,370 रुपये प्रति 10 ग्राम दर्ज किये गये थे, जबकि अक्टूबर की शुरुआत में ये 56,500 के स्तर पर थे। लेकिन जनवरी महीने के पहले सप्ताह में गोल्ड 63400 रुपये प्रति 10 ग्राम की नई ऊंचाई पर देखा गया है। इसी तरह से ग्लोबल मार्केट के बीत करें, तो वहां भी गोल्ड अपने उच्चतम स्तर पर दिख रहा है। बीते साल मार्ट से इस साल मार्च के बीच फाइनेंशियल ईयर की बात की जाए, तो दिसंबर 2023 की शुरूआत में गोल्ड हाजिर भाव में  तेजी पडक़र 2135 डॉलर प्रति औंस की रिकॉर्ड ऊंचाई तक चला गया था। लेकिन बीते साल 5 मई को गोल्ड हाजिर भाव में 2072 डॉलर प्रति औंस की ऊंचाई तक पहुंच गया था। इससे पहले 2020 में इसने 2072 का ऑल टाइम हाई बनाया था। लेकिन वर्तमान रेट को देखों, तो 63500 के आसपास गोल्ड ट्रेंड कर रहा है। गोल्ड मार्केट में इजरायल पर हमास के हमले से ठीक एक दिन पहले यानी 6 अक्टूबर को इंटरनेशनल मार्केट में स्पॉट गोल्ड 1809 डॉलर प्रति औंस के अपने 7 महीने के निचले स्तर तक चला गया था। लेकिन उसके बाद से इंटरनेशनल मार्केट में गोल्ड काफी मजबूत हुआ है। गोल्ड की कीमतों में तेजी की सबसे बड़ी वजह केवल इजरायल पर हमास का हमला ही नहीं है, अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी का दौर पीछे छूट चुका है और अमेरिकी सेंट्रल बैंक आनेवाले मार्च महीने से ब्याज दरों में कटौती की शुरुआत कर सकता है। इसी खास वजह से गोल्ड की कीमतों में न केवल घरेलू मार्केट की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई, बल्कि पूरी दुनिया में शानदार तेजी देखने में आ रही है। इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि आनेवाले दिनों में यह तोजी और बढ़ेगी और कोई आश्चर्य नहीं कि 2024 के अंत तक गोल्ड 75 हजार के पार भी पहुंच जाए।


गोल्ड की कीमतें घटने - बढऩे के इस गणित को समझना हर किसी के लिए आसान नहीं है क्योंकि एक तो कई कारण इसके रेट्स पर सीधे असर डालते हैं, दूसरा कुछ जिओ-पॉलिटिकल कारण इसके रेट्स को बाहर से प्रभावित करते हैं, फिर गोल्ड के रिजर्व स्टॉक पर कोई इंटरेस्ट नहीं मिलता। इसलिए अमेरिकी बॉन्ड के इंटरेस्ट में गिरावट से गोल्ड सामान्य लोगों के लिए इन्वेस्टमेंट के लिहाज से ज्यादा आकर्षक हो जाता है और उसकी वजह से गोल्ड की कीमतों में तेजी आती है। वहीं डॉलर में कमजोरी अन्य करेंसी में गोल्ड की कीमत को बढ़ा देती है। ऐसे हालात में देखा जाए, तो 10 वर्षीय अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड पर इंटरेस्ट फिलहाल 3 महीने के निचले स्तर पर है। यूएस डॉलर इंडेक्स में भी पिछले 3 हफ्तों से लगातार स्थिरता देखी गई है। सन 2023 में अक्टूबर के बाद से लेकर दिसंबर महीने के अंत तक का समय तो अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड पर इंटरेस्ट में अच्छे प्रदर्शन के लिहाज से बेहद खराब रहा, क्योंकि इसी दौर में यूएस डॉलर इंडेक्स में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखी गई, तो गोल्ड के रेट्स में इजाफा तो वाजिब था।







वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक पिछले पूरे साल भर के दौरान दुनिया के हर देश के सेंट्रल बैंकों की तरफ से गोल्ड की खरीद लगातार की जा रही है। ऐसे में गोल्ड के रेट बढऩा तय है, क्योंकि बाजार में गोल्ड के रेट बढऩे का गणित सेंट्रल बैंकों की गोल्ड खरीद पर ही निर्भर है।

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रुपए और डॉलर के रेट का फर्क भारत में गोल्ड की कीमतों पर सीधे असर डालता है। गोल्ड का आयात किया जाता है, जिसकी कीमत डॉलर में चुकानी होती है, रुपए की कीमत कमजोर होने पर गोल्ड की कीमत रुपयों में बढ़ जाती है, इसलिए गोल्ड लगातार महंगा होता है।

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गोल्ड किसी भी संकट या ग्लोबल ट्रेड वॉर के दौरान सबसे सुरक्षित विकल्प है, क्योंकि गोल्ड की कीमत को महंगाई इंडेक्स, ब्याज रेट्स और रुपए का गिरना सीधे प्रभावित करते रहते हैं, लेकिन यही एकमात्र असेट है, जो रुपये के गिरने पर भी लगातार महंगा होता जाता हैं।

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लोग गोल्ड इसलिए खरीदते हैं, क्योंकि यही एक मात्र सुरक्षित निवेश का विकल्प है, तथा किसी भी निवेश के मुकाबले तत्काल कैश मिल जाता है, फिर इसके रेट भी लगातार बढ़ते रहते हैं। ऐसे में वैश्विक हालात बताते हैं कि गोल्ड के रेट इसी साल काफी ऊपर जा सकते हैं।



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