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श्रृंगार-हाउस ऑफ मंगलसूत्रचेतन थड़ेश्वर की जादुई सफलता का सपना

Aabhushan Times































मंगलसूत्र को भारत में वैवाहिक प्रतीक के रूप में सबसे अधिक पवित्र ज्वेलरी के रूप में माना जाता है, तथा मंगलसूत्र निर्माण के मामले में प्रसिद्ध ज्वेलरी कंपनी श्रृंगार - हाउस ऑफ मंगलसूत्र आज देश के सबसे प्रमुख मंगलसूत्र निर्माता के रूप में सर्वोच्च शिखर पर स्थित है। देश भर में श्रृंगार - हाउस ऑफ मंगलसूत्र सबसे ज्यादा बिक्री वाला एक अति प्रतिष्ठित संस्थान है तथा इसके मंगलसूत्र बाजार में काफी ख्याति अर्जित करते देखे जा सकते हैं। बाजार में आज जिन चंद कंपनियों की ज्वेलरी निर्माण में साख है, उनमें श्रृंगार - हाउस ऑफ मंगलसूत्र सबसे आगे माना जाता हैं। उनकी ज्वेलरी की साख तथा प्रसिद्धि की सीमाएं नापने निकलें, तो जितनी दूर देखेंगे, वहां से आगे ही नजर आती हैं। यही श्रृंगार - हाउस ऑफ मंगलसूत्र की सबसे बड़ी ताकत है। देश के ज्वेलरी हब कहे जाने वाले झवेरी बाजार की सबसे प्रतिष्ठित बिल्डिंग ज्वेल वल्र्ड में श्रृंगार - हाउस ऑफ मंगलसूत्र का लगभग 6 हजार वर्ग फीट का विशाल शोरूम और कॉर्पोरेट कार्यालय है, जहां बैठकर चेतन थड़ेश्वर और उनके दो बेटे विराज थड़ेश्वर तथा बलराज थड़ेश्वर भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों की महिलाओं के लिए मंगलसूत्र की दुनिया को संवारते रहने के कल्पना लोक को नई दिशा दे रहे हैं, तथा खुशी की बात ये है कि मंगलसूत्र निर्माण के मामले में श्रृंगार - हाउस ऑफ मंगलसूत्र आज देश के सबसे प्रमुख मंगलसूत्र निर्माता के रूप में भारत के सर्वोच्च शिखर पर है। वर्तमान हालात में, जीवन जीने के तेजी से बदलते हुए युग में, जब समाज की पुरानी परंपराएं बदल रही है, मान्यताओं तथा वर्जनाओं के बंधन टूट रहे हैं तथा आधुनिक समाज में ज्वेलरी के मायने भी परिवर्तित हो रहे है, ऐसे में मंगलसूत्र जैसी धार्मिक परंपरा वाली सामान्य सी ज्वेलरी को समाज में महत्वपूर्ण बनाए रखना श्रृंगार - हाउस ऑफ मंगलसूत्र के लिए किसी चुनौती से कम नहीं हो सकता। साथ ही जितने लोग उतनी ही पसंद अलग अलग का सिद्धांत खासकर महिलाओं की ज्वेलरी में ज्यादा मायने रखता है। तो मंगलसूत्र के मामले में तो यह अपने आप में एक सबसे बड़ा चैलेंज है, फिर भी श्रृंगार - हाउस ऑफ मंगलसूत्र ने देश भर के बाजारों में अपनी महत्वपूर्ण पहचान न केवल बरकरार रखी है, अपनी साख को मजबूत किया है तथा अपने प्रोडक्ट्स को भी जबरदस्त उंचाई बख्शी है, जो कि अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण बात है। इसीलिए आभूषण टाइम्स के पन्नों पर इस बार हम अपने मंगलसूत्र विशेषांक के लिए कवर स्टोरी के रूप में श्रृंगार - हाउस ऑफ मंगलसूत्र की व्यावसायिक यात्रा को एक अनुकरणीय व गरिमामयी सफर के रूप में देखते हुए आप सभी के सामने उनके संघर्ष, मेहनत व काम के प्रति लगन व प्रतिबद्धता को पेश करने जा रहे हैं।


कहते हैं कि कोई भी पहचान आसान नहीं होती। फिर पहचान जब तेज- से बदलते युग में किसी डिजाइनर ज्वेलरी तथा लोगों की बदलती पसंद के मामले में हो, तो संकट और भी गहरा जाता है। विशेषकर मंगलसूत्र जैसी ज्वेलरी के मामले में तो अपनी पहचान बनाना, साख स्थापित करना तथा ख्याति अर्जित करना बेहद मुश्किल काम है। परंतु श्रृंगार - हाउस ऑफ मंगलसूत्र ने अपनी बेहतरीन क्वालिटी, अभिनव तरीके के डिजाइन के साथ भारी भरकम मंगलसूत्रों की सेल को बढ़ाने के अलावा उनके विकल्प की तुलना में नए जमाने की महिलाओं के लिए ग्लैमरस व डिजाइनर मंगलसूत्रों को भी रुचि का विषय बनाया। इन्हीं वजहों से श्रृंगार - हाउस ऑफ मंगलसूत्र आज देश की जानी मानी ज्वेलरी कंपनी के रूप में विख्यात है। वैसे, तो मुंबई के मार्केट में हर कोई हर किसी की व्यापारिक विकास की यात्रा से वाकिफ है, इसी परिदृश्य में 'श्रृंगार - हाउस ऑफ मंगलसूत्र की विकास यात्रा को भी लोग जानते ही है, लेकिन निदेशक चेतन थडेश्वर से जब आभूषण टाइम्स ने उनकी ज्वेलरी के साथ अपनी व्यावसायिक यात्रा के बारे में जानकारी ली, तो पता चला कि लोग बहुत सारी बातें उनके बारे में जानते ही नहीं कि किस तरह से उन्होंने अपने पिता द्वारा स्थापित व्यापार को आसमान चूमने वाली ऊंचाई तक पहुंचाया, तथा किस प्रकार से अब उनके दो बेटे विराज थडेश्वर व बलराज थडेश्वर उनकी इस उंचाई को अधिक गरिमा देने की दिशा में लगातार जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं।


चेतन थडेश्वर कहते हैं कि नटूभाई के नाम से मशहूर उनके पिता नटवरलाल थडेश्वर ने गुजरात में राजकोट के पास एक छोटे से गांव विछीया में अपनी सफलता के जो सपने देखे थे, उन्हें पूरा करने के लिए वे एक मजबूत जुनून के साथ सन 1963 में मुंबई आए। सोनी समुदाय के होने की वजह से नटवरलाल थडेश्वर के लहू में ही ज्वेलरी निर्माण को अभिनव अंदाज में पेश करने की कला थी। उन्होंने गोल्ड ज्वेलरी में से बेहद अनूठी और विशिष्ट ज्वेलरी के रूप में हमारे जीवन में जगह बनाने वाले मंगलसूत्र के छोटे से व्यापार की स्थापना करके एक सामान्य सी शुरुआत की। लेकिन उनके पिता ने लगातार विकसित होते रहने के सपनों को देखना नहीं छोड़ा, साथ ही उस हर सपने को पूरा करने की दिशा में लगातार मेहनत, लगन व अथक प्रयास भी नहीं छोड़े। चेतन थडेश्वर ने बेहद नजदीक से देखा है कि उनके पिता गजब के समर्पण और कभी न खत्म होने वाले उत्साह के साथ लगातार आगे बढ़ते रहे। फिर तो सन 1981 में चेतन थडेश्वर खुद भी अपने पिता के साथ व्यापार में आ गए और कड़ी मेहनत के साथ अपने शिल्प कौशल को विकसित करते हुए मंगलसूत्र को नए जमाने की ज्वेलरी के रूप में नए आकार देना शुरू किया, तो सफलता की उपलब्धि के लिए नए मार्ग भी प्रशस्त हुए। समय बीतने के साथ आज श्रृंगार - हाउस ऑफ मंगलसूत्र एक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ज्वेलरी कंपनी के रूप में हमारे सामने है, जिसके हर प्रोडक्ट की अपनी अलग पहचान है। श्रृंगार - हाउस ऑफ मंगलसूत्र के प्रोडक्ट्स के बारे में चेतन थड़ेश्वर बताते हैं कि हमारे मंगलसूत्र न केवल पारंपरिक हिंदू विवाह की परंपरा के प्रतीक हैं, बल्कि एक शाश्वत जीवन के पवित्र बंधन की पावनता के प्रतीक भी हैं। पिता के व्यापार में हाथ बंटाने के लिए जब चेतन काम में लगे, तो समझ में आया कि मंगलसूत्र के महत्व को लगातार ऊंचाई देते हुए अपने व्यापार को शिखर पर पहुंचाया जा सकता है। इसी को मद्दे नजर रखते हुए उन्होंने अपनी असाधारण व्यावसायिक समझ को विकसित करते हुए मार्केट में अपने प्रोडक्ट की एक ऐसी जगह बनाई, जो सबसे शानदार ब्रांड बन गया। उन्होंने जाना की मंगलसूत्र जैसे साधारण से गहने में डिजाइन बहुत कम है, तो उन्होंने डिजाइन की सीमाओं को समझकर उन्हें विस्तार देना शुरू किया, जो भारत में राज्यों, भाषाओं और समुदायों में हर पारंपरिक समाज का एक अंतर्निहित हिस्सा है। चेतन ने जाना कि जब तक जीवन है, तब तक विवाह है। जब तक विवाह है, तब तक सुहाग है। तथा जब तक सुहाग है, तो उसके प्रतीक के रूप में मंगलसूत्र की अहमियत जरूर रहेगी। इसी कारण चेतन थड़ेश्वर के नेतृत्व में श्रृंगार के मंगलसूत्र डिजाइन की कलाकारी आज अनेक रूपों, विभिन्न सामग्रियों और अनेकानेक डिजाइन के साथ बाजार में देखने को मिलती है। लेकिन यह भी आसान काम नहीं था, इसके लिए उन्होंने व्यापक शोध किया और इस पवित्र आभूषण के इतिहास और उत्पत्ति का अध्ययन किया ताकि सर्वोत्तम संभव रूपों के डिजाइन का पता लगाया जा सके।


इक्कीसवीं सदी की शुरूआत के साथ ही नए जमाने के लोगों के बीच भी सन 1981 में व्यापार में आने के बाद लगातार दो दशक तक कड़ी मेहनत से चेतन थड़ेश्वर ने कंपनी को नए आयाम पर पहुंचाया, तथा चेतन थड़ेश्वर की बागडोर में ही सन 2001 में श्रृंगार - हाउस ऑफ मंगलसूत्र की व्यावसायिक यात्रा में एक जबरदस्त मोड़ आया और आश्चर्यजनक परिवर्तन हुआ, जो मंगलसूत्र के एक निर्माता से एक थोक व्यापारी के रूप में विकसित होना था। इसे एक और व्यावहारिक बदलाव माना गया। इसके तुरंत बाद, इसके कई ग्राहकों ने अपने पसंदीदा ज्वेलरी स्टोर को श्रृंगार हाउस ऑफ मंगलसूत्र की उपाधि प्रदान की, तो वही इस कंपनी का नाम भी बन गया। धीरे धीरे चेतन की कोशिशों से 'श्रृंगार - हाउस ऑफ मंगलसूत्र पूरे देश में एक जाना-पहचाना नाम बन गया था। वे अपने आकाश का और भी विस्तार करना चाहते थे और विदेशी भूमि पर भी मंगलसूत्र का परचम लहराना चाहते थे। अत: कोशिश की, तो यूएसए, यूके, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया फिजी से तो इन्क्वायरी पहले ही शुरू हो चुकी थी, लेकिन वे हमेशा नए नए प्रयोग करने के लिए तैयार रहे। इसी के तहत 'श्रृंगार - हाउस ऑफ मंगलसूत्र आईआईजेएस जैसी विशाल एग्जिबिशन में भाग लिया जहां पर, श्रृंगार ने एक बार फिर लोगों के दिलो-दिमाग को जीत लिया। तब से लेकर आज तक श्रृंगार - हाउस ऑफ मंगलसूत्र ने कभी पीछे मुडक़र नहीं देखा तथा उसकी विकास यात्रा हर कदम पर नए अचीवमेंट फतह करती जा रही है। व्यावसायिक श्रेत्र में शिखर पर पहुंचने, कई नई सफलताओं को हासिल करने तथा अपने व्य़ापार को लेकर कई अवॉर्ड्स जीतने के बावजूद, चेतन थड़ेश्वर सहित उनके बेटे विराज और बलराज मानते हैं कि व्यापारिक विकास के लिए अपने प्रोडक्ट्स में हररोज बदलाव के साथ कुछ न कुछ नया तो करना ही होता है, अत: आज हम अगर मंगलसूत्र के मार्केट में नंबर वन है, तो भी यह मुकाम भी हमारे लिए केवल अनवरत विकास यात्रा का ही एक पड़ाव है, तथा वे इसे केवल शुरुआत मनानते हुए बताते बैं कि, श्रृंगार ने भले ही ज्वेलरी इंडस्ट्री के मंगलसूत्र सेग्मेंट में अपनी सबसे बड़ी पहचान बना ली है, लेकिन अभी तो और भी बहुत कुछ करना बाकी है।


क्योंकि आने वाली कई सदियों तक मंगलसूत्र की महत्ता बरकरार रहेगी और इसीलिए श्रृंगार - हाउस ऑफ मंगलसूत्र के लिए दुनिया भर के लोगों के अपने प्रति विश्वास और सम्मान का खयाल करते हुए सर्वोत्तम क्वालिटी, सर्वश्रेष्ठ प्योरिटी और अभिनव डिजाइन प्रदान करना जारी रखना है, साथ ही आने वाले अनेक दशकों व कई सदियों तक मंगलसूत्र का महत्व बरकरार रहेगा, तो हमें भी जब तक हम हैं, मंगलसूत्र की गुणवत्ता के साथ दुनिया की खूबसूरत अपेक्षाओं को पूरा करना ही है।







मंगलसूत्र के प्रोडक्शन के मामले में श्रृंगार - हाउस ऑफ मंगलसूत्र का आज न केवल देश् बल्कि पूरी दुनिया में परचम लहरा रहा हैं। चेतन थडेश्वर की सबसे खास बात यह है कि वे सदा से ही अपने प्रोडक्ट्स में हमेशा नए नए प्रयोग करने के लिए तैयार रहे हैं। इसीलिए ज्वेलरी मार्केट में उनका एक सम्मानित स्थान है। वे अपने मंगलसूत्र के डिजाइन में हमेशा नए नए प्रयोग करने के लिए तैयार रहते हैं एवं अपनी इसी नयापन देने की विधा के कारण वे लगातार आगे बढ रहे हैं।










मुंबई के ज्वेलरी मार्केट में मंगलसूत्र के निर्माता चेतन थड़ेश्वर का आज एक सम्मानित व प्रतिष्ठित नाम है। उनके नेतृत्व में श्रृंगार - हाउस ऑफ मंगलसूत्र तेजी से प्रगति के पथ पर अग्रसर हैं। आज वे जिस मुकाम पर हैं वहां पहुंचना आसान काम नहीं था, उन्होंने आज का यह मुकाम हासिल करने के लिए बहुत मेहनत की हैं। वे अपने सर्वोत्तम प्रोडक्ट देने की कोशिश करते हैं क्योंकि आज वे मंगलसूत्र मार्केट के शिखर पर है एवं शिखर पर बने रहना आसान नहीं होता।












मंगलसूत्र निर्माण के क्षेत्र में आज की तारीख में श्रृंगार हाउस ऑफ मंगलसूत्र के चेतन थडेश्वर का नाम मुंबई में ही नही देश में सबसे आगे हैं। लेकिन अपने इस सर्व प्रथम होने के पीछे दूरगामी विजन एवं हर उम्र, वर्ग, क्षेत्र तथा समाज की महिलाओं की पसंद के हिसाब से अपने मंगलसूत्र का निर्माण करना ही इनकी सफलता का सबसे महत्वूपर्ण कारण हैं। वे एक जबर्दस्त पेशेवर नजरिए के मालिक है और आनेवाले समय के मार्केट की डिमांड के मुताबिक अपने प्रोडक्ट बनाते हैं इसलिए वे सफल हैं।



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