सिल्वर 2 लाख के पार के आसारखपत ज्यादा, खनन कम, इसी साल सवा लाख संभव
- Aabhushan Times
- Feb 20
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विभिन्न वैश्विक बाजारों के विश्लेषकों के अनुसार, 2025 में सिल्वर की कीमतों में तेज वृद्धि की संभावना है। सन 2025 के अंत तक सिल्वर की कीमत लगभग 1.25 लाख प्रति किलो तक हो सकती है। कीमतों में इतनी अधिक वृद्धि की संभावना से बाजार में खरीदी तेज होने की भी संभावना रहेगी। ऐसे में बुलियन मार्केट भले ही तेज हो, लेकिन ज्वेलरी की सेल पर असर पड़ सकता है।
सिल्वर भी भले ही गोल्ड की तरह ही महंगा होने वाला है लेकिन ज्वेलर्स के लिए ये कोई अच्छी खबर नहीं है, क्योंकि बाजारों में सन्नाटा है। भारत में इन दिनों वेडिंग सीजन नजदीक है और उसकी खरीददारी के लिए लोगों को बाजार में होना चाहिए। क्योंकि वेडिंग सीजन में ज्वेलरी की डिमांड तगड़ी होती है। लेकिन लगातार महंगा हो रहे गोल्ड ने तो सामावन्य उपभोक्ता का टेंशन बढ़ाया ही है, ग्रामीण भारत में सिल्वर की खपत भी प्रभावित हो रही है, तथा विवाह के सीजन में भी सिल्वर की सेल न के बराबर है, क्योंकि महंगाई बहुत बढ़ रही है। सिल्वर भी आम आदमी की पहुंच से बाहर होता जा रहा है। जो लोग गोल्ड की ज्वेलरी नहीं खरीद सकते, वे आम तोर पर सिल्वर की ज्वेलरी खरीदते हैं, पहनते हैं तथा उसी को गिफ्ट में देते हैं। ग्रामीण भारत में तो सिल्वर ही विवाह के सीजन में सबसे ज्यादा खरीदा जाता है, लेकिन सिल्वर ज्वेलरी का मार्केट भी बेहद मंदा है। इस साल यानी 2025 में अब तक गोल्ड की कीमतों में करीब 11 फीसदी की मजबूती दर्ज की जा चुकी है, तो सिल्वर भी पीछे नहीं है, जोकि गोल्ड की ही तरह करीब 10 फीसदी की बढ़त दिखा चुका है। खासकर सिल्वर की बात करें तो बुलियन मार्केट के एक्सपर्ट सिल्वर को आगे के लिए भी तेजी का बाजार मानकर चल रहे हैं। यानी आगे भी सिल्वर की कीमतों में कमी आने की कोई संभावना नहीं है, तथा तेजी ही देखने को मिल सकती है।फरवरी महीने का दूसरा सप्ताह शुरू होते होते मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज यानी एमसीएक्स पर फिलहाल सिल्वरके रेट्स 97 हजार के ऊपर प्रति किलो पहुंचना सभी को परेशान किए हुए था, क्योंकि लगातार तेजी के कारण ज्वेलरी का ग्राहक बाजार से गायब है। लेकिन संभावनाएं कह रही है कि जिस तरह से सिल्वर की खपत बढ़ रही है, अगले चार साल से भी पहले सिल्वर के 2 लाख रुपए प्रति किलो तक जाने के आसार हैं।
सन 2025 में सिल्वर की कीमतों में तेज वृद्धि की उम्मीद है, और यह 1 लाख रुपये प्रति किलोग्राम की सीमा को पार करके 1.25 लाख का नया हाई लेवल बना सकती है, जो कि फरवरी महीने में ही सिल्वर एक लाख का आंकड़ा छूती दिख रही है। हालांकि, सिल्वर के महंगा होने की संभावना वर्तमान परिस्थितियों में साफ दिख रही है, लेकिन इंटरनेशनल लेवल पर इंडस्ट्रीयल प्रोडक्शन अगर घटता है, तो सिल्वर की खरीद घटेगी और रेट भी कम हो सकते हैं। लेकिन तत्काल ऐसी कोई संभावना नहीं दिखती। कुछ वक्त पहले ही गोल्ड की बढ़ती कीमतों के बीच सिल्वर ने भी निवेशकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया, तब दुनिया में खनन की बड़ी कंपनियों में शामिल वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने सिल्वर को भविष्य का महत्वपूर्ण मिनरल बताते हुए इसकी तेजी से बढ़ती मांग की बात कही थी। उनका यह बयान ऐसे वक्त में आया, जब इस भारतीय बाजार में सिवल्वर की खपत पहले से ही लगातार बढऩे की राह पर चल पड़ी हैं। वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा था कि सिल्वर की कीमतें अब 1 लाख रुपए प्रति किलोग्राम के पार पहुंच रही हैं, और पिछले साल की तुलना में इसकी मांग दोगुनी हो चुकी है, ऐसे में इसके और इसी साल 1.25 लाख तक महंगा होने की संभावना पक्की मानी जा है।
सिल्वर से कमाई की बात की जाए, तो तमाम इंडस्ट्रीयल खपत और निवेश के लिहाज से इसकी मांग गोल्ड से कतई कम नहीं है। फिलहाल सिल्वर इस समय 97 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर मिल रहा है, जबकि गोल्ड का दाम 87 हजार रुपए प्रति ग्राम पर है। यानी गोल्ड के मुकाबले सिल्वर भी साथ साथ ही चल रहा है। सदियों से गोल्डके साथ साथ सिल्वर को भी सुरक्षित निवेश के रूप में देखा जाता रहा है और इनकी कीमतों में यह अंतर बना हुआ है। लेकिन आने वाले समय में यह स्थिति बदल सकती है, सिल्वर के तेज भागने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, भविष्य में सिल्वर की कीमतों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हो सकती है। इसका कारण है तमाम इंडस्ट्रीयल प्रोडक्शन में सिल्वर की मांग बढ़ रही है। सिल्वर की जो कई खासियतें हैं, वे इस इंडस्ट्रीज के लिए बेहद उपयोगी बनाती है। जबकि दूसरी ओर तेजी से घटते भंडार के चलते इसकी सप्लाई से जुड़ी चिंताएं सामने आ रही हैं। सिल्वर महज ज्वेलरी में पारंपरिक उपयोग नहीं बल्कि सोलर पैनल्स, इलेक्ट्रिक वाहनों, एडवांस हेल्थकेयर, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में बढ़ती औद्योगिक मांग भी इसकी कीमतों में इजाफे का कारण रही है। सिल्वर का यह अनूठा संयोजन, जो इसे न केवल कीमती बल्कि औद्योगिक तौर पर अत्यधिक उपयोगी बनाता है, निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। सिल्वर की रिसर्च रिपोर्ट्स देखें, तो इसकी आपूर्ति और मांग के बीच का अंतर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे इसके भाव में और बढ़ोतरी की संभावना बनी हुई है। खनन में सिल्वर कम निकलना भी इसके महंगे होने की तरफ संकेत देता है।
पिछले साल भर से सिल्वर की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिल रही। 2025 में अब तक के रिटर्न को देखें तो सिल्वर के मुकाबले सभी शेयर मार्केट्स के प्रमुख इंडेक्स भी पीछे छूट गए हैं, जिसमें सेंसेक्स और निफ्टी प्रमुख रूप से शामिल हैं।सिल्वर की बढ़ती मांग और घटती सप्लाई इसके लगातार तेज होने का अहम कारण है। इसी कारण हाल के सालों में सिल्वर की मांग में तेज उछाल आया है। सिल्वर इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2033 तक इंडस्ट्रियल एप्लिकेशन में सिल्वर की ग्लोबल मांग 46 प्रतिशत तक बढऩे की संभावना है। लेकिन इस बढ़ती मांग के विपरीत सिल्वर के भंडार तेजी से घट रहे हैं। अगर सिल्वर के भूमिगत भंडार की बात करें, तो सिल्वर का करीब 5 लाख 30 हजार टन खनन किया जाना बाकी है। आंकड़े बताते हैं कि सिल्वर का भंडार अभी भी गोल्ड की तुलना में लगभग 10 गुना अधिक है, लेकिन जैसा कि वेदांता ग्रुप के चेयऱमेन अनिल अग्रवाल ने कहा था कि इंडस्ट्रियल एप्लिकेशन में के लिए सिल्वर की मांग बहुत ज्यादा है तथा इस बढ़ती मांग और घटती सप्लाई के बीच आने वाले सालों में सिल्वर की कीमतें काफी बढ़ सकती हैं। बाजार के एक्सपर्ट्स 2028 तक सिल्वर के 2 लाख रुपए प्रति किलो तक पहुंचने की संभावना इंकार नहीं करते। सिल्वर की कीमतों के तेजी से बढऩे का एक और कारण है इंटनरनेशनल मार्केट में हेराफेरी। इस गंभीर कारण को समझने के लिए ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स सर्वे की 2024 की एक रिपोर्ट का सहारा लेना पड़ा है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ अमेरिकी बैंकों ने लंबे समय से सिल्वर की कीमतों को कृत्रिम रूप से दबाने का प्रयास किया है। उन्होंने बाजार में सिल्वर के कागजी कॉन्ट्रैक्ट्स (पेपर सिल्वर) का व्यापार किया, जो वास्तव में उपलब्ध सिल्वर से कई गुना ज्यादा था। मतलब, कम होने के बावजूद ज्यादा भंडार दिखाया गया, जिससे सिल्वर की कीमतें उतनी नहीं बढ़ पाईं, जितना उनको वास्तव में बढ़ जाना चाहिए था। हालांकि जैसे-जैसे सिल्वर के भंडार के कम होने के मुकाबले उसे बहुत ज्यादा दिखाने की ये हेराफेरी सामने आ रही हैं, इंटरनेशनल मार्केट में पारदर्शिता की मांग बढ़ रही है। ऐसे में जब भूमिगत भंडार कम होने के वास्तविक आंकड़े सामने आते ही सिल्वर का असली मूल्य सामने आ सकता है। मतलब, इसकी कीमतों में भारी इजाफा होना बहुत संभव है।
उधर, दूसरी तरफ देखें, तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी की हलचल और अमेरिकी नीतियों में बदलाव के कारण लोग गोल्ड की तरह ही सिल्वर को भी बेहतरीन रिटर्न गुड्स तथा सुरक्षित निवेश मानकर इसमें बड़े पैमाने पर पैसा लगा रहे हैं, जिससे इसके रेट्स लगातार बढ़ रहे हैं। इंटरनेशनल मार्केट के एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर ब्याज दरें कम होती हैं और बाजार में अनिश्चितता बनी रहती है, तो गोल्ड और महंगा हो सकता है, तो फिर सिल्वर की शाइनिंग भी निखरेगी। ग्रामीण भारत में विवाह के सीजन और त्यौहारों के समय सिल्वर की मांग बहुत बढ़ जाती है साथ ही सोलार, इलेक्ट्रोनिक्स, मोबाइल फोन आदि के उत्पादन से संबद्ध औद्योगिक खपत बढऩे के साथ ही इसके रेट्स बढ़ते है, जिससे आने वाले महीनों में सिल्वर केरेट्स और तेजी से बढ़ सकते हैं और इसी साल 1.25 लाख के रेट देखने को मिल सकते हैं।

कांतिलाल मेहता-सिल्वर एम्पोरियम
सिल्वर की कीमतों में भविष्य में वृद्धि की संभावना को लेकर विभिन्न विशेषज्ञों के भले ही मत अलग-अलग हैं। लेकिन इतना तय है कि2028तक सिल्वर की कीमतें आज के मुकाबले 2 गुना तक बढ़ सकती हैं, क्योंकि मांग के मुकाबले आपूर्ति कम हैं।

कल्पेश जैन-शुभम सिल्वर
ज्वेलरी के मुकाबले सिल्वर की खपत उद्योगों में बहुत ज्यादा है। आधुनिक प्रौद्योगिकियों में सिल्वर के बड़े पैमाने पर उपयोग होने तथा औद्योगिक खपत और खनन उत्पादन के बीच गंभीर असंतुलन के ककारण सिल्वर कीमतों में तेजी से वृद्धि होना निश्चित है।

अनिल सिंघवी-अरिहंत ९२५ ज्वेलरी प्रा. लि.
भारत में सिल्वर की कीमतें पहले इस ऊंचाई तक कभी नहीं गई थी, लेकिन फरवरी 2025 के मध्य में ये लगभग 1 लाख रुपए का आंकड़ा छू रही है। वैश्विक बाजारों में सिल्वर को आने वाले दिनों में गोल्ड से भी तेज भागना वाला मेटल माना जा रहा है।

हेमंत बड़ोला-वर्धमान ९२५ सिल्वर
सिल्वर ज्वेलरी का मार्केट ठंडा है। लाइटवेट ज्वेलरी भी बेहद कम बिक रही है, क्योंकि बाजार से ग्राहक ही गायब है। देश भर के सिल्वर ज्वेलरी के शो रूम्स में ग्राहक नहीं है, तथा हालात मुश्किल हैं। ज्वेलर्स के लिए सिल्वर का महंगा होना परेशानी बन रहा है।
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