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सिल्वर की शाइनिंग का समय

Aabhushan Times
ज्वेलरी में सिल्वर की सेल लगातार बढ़ रही








सिल्वर के रेट्स बढ़ने में जो भी मुख्य कारण है, वे लगातार मजबूत होते जा रहे हैं, इसलिए भारत में सिल्वर की हालत मजबूत नजर आ रही है, आने वाले दिनों में इसी वजह से सिल्वर की चमक में निखार आने की संभावना है कि और इसकी चमक फीकी पड़ जाए, यह संभावना ही नहीं है।










ज्वेलरी मार्केट की बात की जाए, तो सिल्वर में भी एक से बढ़कर एक ट्रेडीशनल डिजाइन वाले ज्वेलरी सेट मिल रहे हैं जो गिफ्टिंग के के मामले में भी बेस्ट माने जा रहे। ये ज्वेलरी सेट बेहद सुंदर हैं, तो रेट्स में भी आकर्षक हैं, इसी कारऩ जिस्वर ज्वेलरी की चमक बढ़ रही है।










ज्वेलरी सेगमेंट में गोल्ड और प्लेटिनम के साथ सिल्वर की भी वैश्विक स्तर पर कीमती धातुओंमेंअपनी एक महत्वपूर्ण जगह है। विशेषकर भारत में तो सीमित आय वाले लोगों में सिल्वर ही सबसे उपयोगी मूल्यवान संपत्ति मानी जाती है, क्योंकि भारत गांवों व किसानों का देश है, इन लोगों में गोल्ड के मुकाबले सिल्वर काफी चमक ज्यादा है। फिर सिल्वर का तो औद्योगिक उपयोग भी बहुतायत में होता है, इसलिए भारत में सिल्वर की उपयोगिता और भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। आभूषण टाइम्स के पन्नों पर आप यह जो लेख पढ़ रहे हैं, उसमेंहम सिल्वरमार्केट के मौजूदा परिदृश्य पर चर्चा करेंगे, जिसमें इसकी कीमत के रुझान, आपूर्ति और मांग की गतिशीलता और भविष्य की संभावनाएं शामिल हैं।


सिल्वर के बाजारी जरूरतों के वर्तमान परिदृश्य में देखा जाए, तो भारत में सिव्लर न केवल ज्वेलरी व संपत्ति के रूप में खरीदी जीती है, बल्कि प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, ज्वेलरी और निवेश में सिल्वर के विविध प्रयोगों के साथ, वित्तीय और औद्योगिक क्षेत्रों में भी सिल्वर का एक अनूठा स्थान है। दुनिया भर सहित भीरतीय बाजारों में भी सिल्वर की मांग लगातार बढ़ती ही रही है, और ज्वेलरी में भी सिल्वर की ताकत को बढ़ता हुआ हम देख रहे हैं, तो रेट्स के मामले में भी इसकी तरफ सदा से लोगों का ध्यान रहा है। वैश्विक आर्थिक विकास, औद्योगिक उपयोग में वृद्धि, राजनीतिक तनाव और मुद्रास्फीति के दबाव जैसे विभिन्न कारकों से सिल्वर के रेट्स प्रभावित होते है। वर्तमान में भारत में सिल्वर की हालत ठीक ठाक नजर आ रही है, जिसकी वजह से सिल्वर की चमक में निखार आने की संभावना के अलावा और कोई कारण नहीं है कि उसकी चमक फीकी पड़ जाए।


मूल्य रुझान और वैश्विक बाजार

कीमतों को देखें, तो गोल्ड की तरह ही सिल्वर की कीमतों की चमक भी कभी कम तो कभी तेज चमक दिखाती रही है। सिल्वर की कीमतेंवैश्विक स्तर पर विभिन्न बाजारीजरूरतें बढ़ने के कारणों एवं डिमांड द्वारा संचालित महत्वपूर्ण उतार-चढ़ाव के साथ हाल के वर्षों में अस्थिर रही है। सन 2021 में, सिल्वर की कीमत लगभग 26 डॉलर प्रति औंस से शुरू हुई और मार्च में लगभग 25 डॉलर गिरने से पहले फरवरी में 30 डॉलर के शिखर पर पहुंच गई। तब से, कीमत 24 डॉलर से 28 डॉलर प्रति औंस की सीमा में उतार-चढ़ाव कर रही है। सिल्वर की मौजूदा कीमत करीब 25 डॉलर प्रति औंस के आस पास है। जिसके अक्षय तृतीया तक थोड़े बहुत गरम नरम रहने की संभावना है, उससे ज्यादा सिल्वर की कीमतों में उतार चढ़ाव का कोई खास कारण नजर नहीं आता।


मुद्रास्फीति को भी सिल्वर का सपोर्ट

सिल्वर की कीमतों के साथ अमेरिकी डॉलर का सीधा संबंध है, जैसा कि गोल्ड के साथ है। डॉलर क्योंकि डॉलर की मजबूती भारतीय रुपए सहित अन्य मुद्राओं का उपयोग करने वाले देशों के निवेशकों के लिए सिल्वर को अधिक महंगा बनाता है। सिल्वर की मांग के साथ वैश्विक आर्थिक विकास सकारात्मक रूप से जुड़ा हुआ है, क्योंकि इसका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर पैनल और चिकित्सा उपकरणों सहित कई उद्योगों में किया जाता है। मुद्रास्फीति के दबाव भी सिल्वर की मांग को बढ़ावा देते हैं, क्योंकि इसे मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव के रूप में देखा जाता है। मुद्रास्फीति को समझना बेहद आसान है। मुद्रास्फीति की सरल अर्थ है मुद्रा का अवमूल्यन। जिसके कारण सामान व सेवाओं की कीमतों में दीर्घकालिक वृद्धि होती है, वही मुद्रास्फीति है। मुद्रास्फीति की समस्या तब उत्पन्न होती है जब हम अप्रत्याशित कीमतों व सामान में अचानक बेमेल बढ़ोतरी का अनुभव करते हैं जो लोगों की आय में वृद्धि से पर्याप्त रूप से मेल नहीं खाती है। जैसे, आपकी सालाना कमाई अगर 10 फीसदी बढ़ी है, और कीमतें 20 फीसदी बढ़ी, तो मुद्रास्फीति में इजाफा माना जाएगा।


सिल्वर की चमक कम नहीं होगी

अमेरिकी डॉलर की मजबूती, वैश्विक आर्थिक विकास, मुद्रास्फीति के दबाव, राजनीतिक तनाव और निवेशक की आर्थिक हालत सिल्वर की कीमतों को प्रभावित करने वाले मुख्य कारकों में शामिल हैं। मुद्रास्फीति की कमजोरी जैसे दुर्गम स्थितियों को सम्हालने के लिए भी गोल्ड व सिल्वर की खरीदी जरूरी है। दो देशों के बीच व्यापारिक विवाद और राजनीतिकतनाव, एक सुरक्षितसंपत्ति के रूप में सिल्वर की मांग को बढ़ावा देते रहे हैं, तथा आगे भी ये ही कारण मुख्य रूप से सिल्वर को सपोर्ट करते रहेंगे। अंत में, एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ), फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स और फिजिकल बुलियन की मांग सहित निवेशक की भावना भी सिल्वर की कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं। यह प्रभाव केवल सकारात्मक ही हो सकता है, क्योंकि सिल्वर के रेट घटने की कभी कोई संभावना बनना ही एक सपने के जैसा है, कारण केवल यह है कि इसका उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है।


आपूर्ति और मांग की गतिशीलता

सिल्वर की आपूर्ति और मांग की गतिशीलता कै अनुक्रमउसके खनन उत्पादन, मेडीकल जरूरतों, औद्योगिक उपयोग और निवेश की मांग सहित विभिन्न कारकों से प्रभावित होती है। वैश्विक स्तर पर सिल्वर की आपूर्ति में खनन उत्पादन का प्रभुत्व है, जो कि 2020 में लगभग 800 मिलियन औंस था, जिसमें सिल्वर के शीर्ष तीन उत्पादक देश मेक्सिको, पेरू और चीन थे। सिल्वर कीखपत के लिए बी भारत सबसे बड़े देशों में गिना जाता है, जहां की व्यापाक जनसंख्या ही इसका सबसे बड़ा कारण है। लोग यहां पर सिल्वर का ज्वेलरी के रूप में भी बहुतायत से उपयोग करते हैं, तो निवेश के मामले में भी गोल्ड के बाद पहली पसंद सिल्वर ही है। ज्वेलर्स भी हर सप्ताह नए नए डिजाइंस की ज्वेलरी भी सिल्वर में ही सबसे ज्यादा प्रयोग करने लगे हैं। वैश्विक स्तर पर सिल्वर की मांग औद्योगिक उपयोग से भी बहुत ज्यादा प्रेरित है, जिसका हर साल लगभग 600 मिलियन औंस का हिसाब है, जिसमें शीर्ष तीन क्षेत्र इलेक्ट्रॉनिक्स, आभूषण और मेडीकल हैं।


बढ़ती डिमांड और घटती सप्लाई

भारतीय बाजार में सिल्वर की आपूर्ति और मांग आने वाले कुछ महीनों तक बेहत संतुलित रहने की उम्मीद है, हालांकि बढ़ते औद्योगिक उपयोग और निवेश की मांग तथा सिल्वर के खनन उत्पादन की कमी के साथ के कारण इसके रेट्स कुछ बढ़ने की संभावना भी है। सिल्वर कीचमक लगातार बढ़ते रहने के लिए बाजार की भविष्य की संभावनाएं, वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण, तकनीकी प्रगति, पर्यावरण नियमों और मुद्रा नीतियों के कारण बहुत बलवती हैं। आने वाले समय में इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर ऊर्जा पैनल और चिकित्सा उपकरणों सहित विभिन्न उद्योगों में सिल्वर की मांग बढ़ने की संभावनाएं बेहद मजबूत है। इसके साथ ही5जी तकनीक और इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने से भी सिल्वर की मांग बढ़ने की उम्मीद है। सिल्वर मार्केट के जानकार बताते हैं कि 2024 में वैश्विक स्तर पर की मांग वर्तमान मांग के मुकाबले 11 से 13% बढ़ने की उम्मीद है, जो औद्योगिक गतिविधियों में तेजी और निवेश की मजबूत मांग के कारण है। ईटीएफ, वायदा अनुबंध और बुलियन सहित सिल्वर में निवेश की मांग 2024 में 16 से 18% बढ़ने के कयास हैं और वैश्विक स्तर पर सिल्वर की खानों के उत्पादन में 2024 में 6% घटोतरी होने की संभावना है। तो, इस तरह से सिल्वरके बारे में बाजार के डिमांड व सप्लाई के सिद्धांत के लिहाज से मानें तो वर्तमान परिस्थितियों में सिल्वर की अगले साल तक तेजी से बढ़ती डिमांड और घटती सप्लाई के बीज भाव बढ़ना तय है।







राहुल मेहता - सिल्वर एम्पोरियम

इंटरनेशनल मार्केट में सिल्वर की चमक के कारण सभी को साफ दिखाई दे रहे हैं। आने वाले समय में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादनों की बढ़ती खपत, सोलर पॉवर पैनल के लगातार बढ़ते निर्माण और चिकित्सा उपकरणों की व्यापकता के कारण सिल्वर की मांग बढ़ने की संभावनाएं बेहद मजबूत है।








विकास जैन - सिल्वरियो

भारतीय बाजार में सिल्वर का भी गोल्ड जैसा ही रुतबा है। चाहे ज्वेलरी निर्माण हो या निवेश का मामला हो या औद्योगिक खपत का आधार, सिल्वर सदा से ही शानदार कमाई देनेवाला जींस रहा है। बुलियन बाजार के व्यापारी मानते हैं कि आज भी गोल्ड से द्यादा कमाई सिल्वर में मानी जाती है।








हेमंत बड़ोला - वर्धमान ९२५

विवाह सीजन चल रहा है इस कारण विवाहों के मौके पर ज्वेलरी की खरीदी में भी बहार दिख रही है। इन दिनों विवाहों में भी गोल्ड के बजाय सिल्वर ज्वेलरी पहनने का चलन बढ़ता जा रहा है। खासकर नई पीढ़ी की युवतियां शादी फंक्शन आदि में सिल्वर ज्वेलरी ही पहनना पसंद करने लगी है।








अनिल सिंघवी - अरिहंत ९२५

सिल्वर के दाम में गोल्ड की तरह ही लगातार इजाफा होता ही रहता है, तो मुंबई में सिल्वर ज्वेलरी की खपत की लगातार बढ़ती जा रही है। कुछ लोग गोल्ड के साथ ही सिल्वर में भी निवेश करते हैं, तो ज्यादातर लोग ग्रामीण भारत में सिल्वर के ही गहने खरीदने में दिलचस्पी रखते हैं।




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