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सिल्वर नीचे नजर नहीं आताज्वेलरी में भी सिल्वर की खपत बढ़ेगी, क्योंकि गोल्ड महंगा

  • Aabhushan Times
  • Feb 26, 2024
  • 7 min read











सिल्वर की खपत, जरूरत और हालात को देख कर बाजार के जानकारों का कहना है की सिल्वर का भविष्य ज्यादा चमकीला नजर आ रहा है। माना जा रहा है कि ग्रामीण भारत में, आने वाले वित्तीय वर्ष में अर्थव्यवस्था के काफी सुदृढ़ होने के आसार बहुत ज्यादा है, ऐसे में ग्रामीण भारत में सिल्वर की सेल बढ़ेगी, क्योंकि ग्रामीण भारत गोल्ड की खरीदी के मुकाबले सिल्वर को ज्यादा पसंद करता है ।


सिल्वर एक लंबी स्थिरता के साथ अपनी बढ़त बनाए हुए हैं, कम होते होते भी वह वक्त के साथ ऊपर ही जा रहा है। पिछले कुछ वक्त से कभी वह अपनी चाल धीमी कर रहा है, तो कभी रफ्तार पकडक़र आगे बढ़ रहा है, परंतु कुल मिलाकर सिल्वर वह मेटल है, जो होश के साथ जोश पर है। बाजार के विशेषज्ञों की राय में सिल्वर की यही गति आनेवाले कुछ महीनों तक लगातार रहेगी और संभव है कि इस साल के अंत तक 80 हजार के पार का आंकड़ा भी छूकर आगे भी निकल सकती है। सिल्वर के कारोबार में फिलहाल भाव में स्थिरता देखने को मिल रही है, फिर भी एक्सपर्ट का मानना है कि आने वाले दिनों में सिल्वर में तेजी आएगी एवं किसी भी हाल में सिल्वर का भाव 2024 के अंत तक 80 हजार के करीब पहुंचने की संभावना पक्की है। वैश्विक स्तर पर सिल्वर के सपोर्ट में हालात दिख रहे हैं, क्योंकि इंडस्ट्रीयल उत्पादन बढ़ रहा है, सोलार इंडस्ट्री में खपत बढ़ेगी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स में भी उत्पादन के बढऩे से सिल्वर की खपत बढऩा पक्का है। ऐसे में सिल्वर किसी भी हाल में अब नीचे की तरफ रुख करेगा, ऐसे कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं।


विवाह का सीजन आ रहा है, एवं देश भर के ग्रामीण इलाकों में गोल्ड के बजाय सिल्वर की ज्वेलरी पहले भी ज्यादा पहनी जाती थी और अब भी उसी का चलन है। कृषि जगत से जुड़े लोगों में तो गोल्ड ज्वेलरी के मुकाबले सिल्वर की ही ज्वेलरी पहनने का चलन है, इस कारण आर्थिक हालात सुधरने के कारण खेती की कमाई बढ़ रही है एवं भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की जानकारी रखने वालों की राय में सिल्वर की बिक्री ग्रामीण भारत में तेज होगी, क्योंकि कृषि की कमाई का अधिकतम हिस्सा सिल्वर में ही खपता है। भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समझने वालों को आंकलन यही है कि जब जब गोल्ड के रेट्स बढ़ते हैं, तो गांवों में सिल्वर की खपत भी बढ़ती है, कारण यह है कि किसान व ग्रामीण लोग गोल्ड खरीदना भी चाहें, तो उनको वह बहुत महंगा लगता है, तथा ज्यादा रकम देकर भी बहुत कम वजन में आता है। जबकि उनमें एक धारणा है कि गोल्ड के पैसे में सिल्वर जब खरीदा जाता है, तो वह बहुत बडे वजन मेंमिलता है, जिसकी ज्वेलरी भी बहुत ज्यादा बन सकती है। यह स्थिति ग्रामीणों को सुकून देती है।


दुनिया भर में पैदा हुई आर्थिक अनिश्चितता के काफी लंबा चलने के बाद इस साल से हालात सुधरते नजर आ रहे हैं। उसी कारण से पिछले कुछ समय में गोल्ड के रेट 60 से बढक़र 64 हजार से भी आगे निकल गए हैं, तो सिल्वर का रुकना कतई संभव नहीं है।  बहुत से जानकारों का अनुमान है कि आगे भी गोल्ड के भाव में तेजी रहेगी, तो फिर सिल्वर में शांति कैसे बनी रह सकती है, यह सामान्य तौर पर समझने वाली बात है। इसी कारण ज्यादातर फाइनेंशियल एक्सपर्ट मानते हैं कि आने वाले समय में गोल्ड के मुकाबले सिल्वर की खरीदी तथा निवेश के लिए भी उसी पर पर दांव लगाना ज्यादा फायदेमंद होगा, क्योंकि इसके रेट्स 80 हजार से भी पार जाने के आसार पक्के हैं। ज्वेलर्स भी अपनी ज्वेलरी के मामले में सिल्वर के क्षेत्र में अपने कदम ज्यादा तेज करने वाले हैं, जिसकी वजह से बाजार के जानकारों का कहना है की सिल्वर का भविष्य ज्यादा चमकीला नजर आ रहा है।


अतर्राष्ट्रीय बाजार में सिल्वर तेजी पकडऩे की दिशा में बढ़ चुका है, उसे देखत हए भारतीय बाजार की नब्ज जानने वालों की राय में इस साल के अंत तक सिल्वर 80 हजार के पार हर हालत में पहुंच सकती है। सिल्वर की सधी हुई चाल को समझने वालों का कहना है कि वैश्विक स्तर पर निवेशकों ने अमेरिकी आर्थिकी के आंकड़ों के सार्वजनिक होने से पहले बड़ा दांव लगाने की तैयारी पहले से ही कर रखी थी। मान लेना चाहिए कि कंपनियों का है माइंड गेम बहुत घातक होता है, वे बेहतर रणनीति के हिसाब से छोटे व्यापारियों व ज्वेलर्स को अपने पीछे खींचते हैं। वे पहले नीचे के भाव में कुछ धीमी चाल रखकर ग्राहकों को भाव के और नीचे जाने के जाल में रखती है, लेकिन फिर अचानक भाव तेज होने पर नई खरीददारी से बाजार को हत्तप्रभ कर देती है। मार्केट को इंटरनेशनल लेवल पर कंट्रोल करनेवालों का खेल सामान्य ज्वेलर कभी समझ ही नहीं पाता, लेकिन इस खेल में कई बड़े प्लेयऱ जीत जाते हैं और भाव के तेज होने से पहले ही करोड़ों की कमाई का इंतजाम कर लेते हैं। सिल्वर का धंधा जो लोग समझते हैं, वे इसी तरह से बड़ी कमाई निकालते हैं, लेकिन ज्वेलरी बेचनेवाले सामान्य ज्वेलर केवल ज्वेलरी की ग्राहकी के भरोसे छोटी छोटी कमाई में ही अपनी आय को स्रोत बढ़ाने की कोशिश करते हैं। इसलिए, जब तक बड़ा नहीं सोचेंगे, छोटे ज्वेलर वैसी ही छोटी छोटी कमाई ही करते रहेंगे, जैसे पीढिय़ों से करते रहे हैं।  


सिल्वर में तेजी आने के कारणों का अध्ययन करें, तो माना जा रहा है कि बहुत जल्द ही एक तेजी और आ सकती है। वह तेजी भले कही कुछ दिन की रहेगी, लेकिन फिलहाल के 74-75 हजार के रेट से 3 से 4 हजार तक ऊपर जाकर फिर से नीचे का रुख होगा और फिर धीरे धीरे बढक़र बाजार 80 के पार कर जाएगा। बाजार में सिल्वर की तेजी की चाल को समझने वाले बड़े बुलियन व्यापारी इसमें बड़ी कमाई करके जरूर निकलेंगे, क्योंकि मंदी में भी कमाई के रास्ते वे अच्छी तरह से जानते हैं। वैसे इन दिनों अच्छी आर्थिक स्थितियों के कारण, सिल्वर में तेजी आने की संभावना को कई कारणों से बल मिल रहा है। खास तौर पर देखा जाए, तो सीजनल डिमांड तो तेजी पकडऩे वाली है ही अतंरराष्ट्रीय इंडस्ट्रीयल बाजार में भी सिल्वर की अच्छी-खासी मांग है और इस कीमती धातु की वैश्विक डिमांड ने भी रफ्तार पकड़ी है। इसलिए उम्मीद है कि सिल्वर एक बार फिर से अगले तीन महीने बेहतर प्रदर्शन करेगा और निश्चित रूप से मार्ट में 77 हजार के रेट को तो छू सकता है, क्योंकि सिल्वर के लिए इंडस्ट्रिल खपत का लगातार बढऩा एक मजबूत रेसपोर्ट लेवल का काम कर रहा है। धीरे धीरे बढक़र, इस साल की तीसरी तिमाही में ही सिल्वर 78 हजार रुपये रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर को पार कर सकती है, ऐसा माना जा रहा है।


वैसे, सिल्वर में बड़ा खेल केवल निवेश का है, सिल्वर का ज्वेलरी सेक्टर तो बहुत ही छोटा है। इस साल की बात की जाए, तो जिस तरह से शेयर बाजार ने निवेशकों को मोटी कमाई कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, उसी तरह से सिल्वर ने भी निवेशकों की अच्छी खासी कमाई दी है। इस साल  सिल्वर ने करीब 12 फीसदी की से भी ज्यादा रेट बढ़े। कुछ दिन पहले की बात की जाए, तो सिल्वर की कीमतों में अचानक लगभग 4 हजार रुपए से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली थी, लेकिन  पिछले पूरे साल की बात की जाए, तो वह साल किसी स्वर्ण साल से कम नहीं था। यह लगातार दूसरा साल है जब सिल्वर ने अच्छी कमाई दी है।


पिछले मार्च, यानी 2023 मार्च के बाद से अब तक के 11 महीनों में सिल्वर ने निवेशकों की झोली भरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अकेले मार्च 2023 में ही सिल्वर ने निवेशकों को लगभग 12 फीसदी की कमाई दी तथा जुलाई का महीना आते आते लगभग 8 फीसदी का कमाई कराई और नवंबर के महीने में एक बार फिर से सिल्वर की कीमत में 8 फीसदी से ज्यादा की तेजी देखने को मिली। इसी कारण हर बड़े तथा भविष्य पर नजर रखनेवाले ज्वेलर ने अपने बिजनेस में एक विभाग तेजी मंदी में कमाई का भी बना रखा है। यह विभाग बड़े निवेश से बड़ा फायदा निकालने की कोशिश करता है, ताकि रिटेल सेल के अभाव में भी कमाई को संतुलित रखा जा सके। अगर बात बीते पांच साल की बात करें, तो सिल्वर में सन 2021 को छोडक़र हर साल सिल्वर ने अच्छा रिटर्न दिया है। सिल्वर के रेटेस के आंकड़ों को सामने रखकर बात करें, तो सन 2019 में सिल्वर ने 20 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दिया, सन 2020 में सबसे ज्यादा करीब 46 फीसदी और सन 2022 में करीब 11 फीसदी का रिटर्न दिया। ऐसे में सिल्वर के निवेशकों की तो चांदी ही चांदी है और इस साल तो चांदी की चमक और भी हर हाल में बढऩे वाली मानी जा रही है।

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सिल्वर का भविष्य शानदार नजर आ रहा है। फिलहाल भले ही इसके रेट्स 75 के अंदर है, लेकिन भविष्य में सिल्वर के रेट्स का आंकड़ा 80 हजार के पार जाने के पक्के आसार है,  क्योंकि पूरी दुनिया की आर्थिकी में लगातार सुधार हो रहा है और हर क्षेत्र में इसकी खपत बढ़ रही है।

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सिल्वर ज्वेलरी का कारोबार करनेवालों को भी निराश होने की जरूरत नहीं है, कमाई ज्वेलरी की सेल में नहीं निकल रही हैं, तो बुलियन के होलसेल में तो कमाई निकल ही सकती है, बाजार की नब्ज समझनेवाले भी कह रहे हैं कि सिल्वर के रेट 80 हजार के पार जा सकते है।

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निवेश के दृष्टिकोण से देखा जाए, तो सिल्वर ने अपने निवेशकों को अच्छी कमाई कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पिछले चार साल में हर साल अच्छी कमाई दी है। निवेश भी सेफ है और सिल्वर में 10 से 12 फिसदी का रिटर्न अन्य निवेश के मुकाबले काफी अच्छा माना जाता है।

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सिल्वर के भाव घटते बढ़ते रहने से कमाई के अवसर ज्यादा मिलते हैं, तो समझदार ज्वेलर्स बिना रिटेल सेल करके भी अच्छा खासा मुनाफा बटोर लेते हैं। लेकिन जो लोग केवल ग्राहकों के बीच रिटेल सेल के भरोसे ही बैठे रहते हैं, वे तेजी मंदी का लाभ लेने से चूक जाते हैं।

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